‘सिर्फ सूफी संगीत के लिए विख्यात नहीं हूं’ - Zee News हिंदी

‘सिर्फ सूफी संगीत के लिए विख्यात नहीं हूं’

 

नई दिल्ली: प्रख्यात गायक कैलाश खेर का कहना है कि उन पर सिर्फ सूफी गायक होने का ठप्पा नहीं लगाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने अन्य कई शैलियों के गीत भी गाए हैं। उन्होंने कहा कि उनका 'हौंसला' गीत इसका उदाहरण है, इसमें रॉक बीट्स भी हैं और युवाओं सी ऊर्जा भी।

 

कैलाश ने कहा, मैं केवल सूफी गीतों के लिए विख्यात नहीं हूं। मैंने अलग-अलग मनोभावों को व्यक्त करने वाले सभी तरह के गीत गाए हैं। उदाहरण के तौर पर मैंने 'लव सेक्स और धोखा' का शीर्षक गीत गाया है। इसके अलावा मेरी एलबम 'कैलासा' का 'तौबा तौबा' गीत भी एक उदाहरण है। ये सूफी गीत बिल्कुल नहीं हैं। मैंने सभी तरह के गीत गाए हैं। मैं भावपूर्ण गीत गाने के लिए प्रसिद्ध हूं।

 

अपने निर्यात के व्यवसाय में नुकसान के बाद कैलाश संगीतकार बने और उनके 'सैय्यां' और 'तेरी दीवानी' जैसे सूफी गीतों ने उन्हें लोकप्रिय बना दिया। उन्होंने अपना 'हौंसला' गीत बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एशिया कप के दौरान शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम में प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा, यह गीत हमारे अन्य गीतों जैसा नहीं था। इस गीत में बहुत सी ऊर्जा और प्रोत्साहन था।

 

कैलाश ने कहा, इसमें सूफी कहने जैसा कुछ नहीं है। मैं ढाका में पहले ही तीन देशों के सामने इसकी प्रस्तुति दे चुका हूं। लोग हमारा गीत सुनकर व हमारी प्रस्तुति देखकर मस्त हो गए थे। यह गीत 'हौंसला बुलंद' आंदोलन का हिस्सा है। इस आंदोलन के तहत तीन महीने की अवधि में देशभर से आम आदमी के संकल्प व लचीलेपन की कहानियां इकट्ठी करने की पहल की गई।

 

यह गीत सामूहिकता व रचनात्मक लोगों के आपसी सम्बंधों का उत्पाद है। यह वास्तविक जीवन के हीरो की कहानी पेश करता है, जो एक आम आदमी है लेकिन असाधारण काम करता है। इस गीत को गीतकार जावेद अख्तर ने लिखा है, कैलासा बैंड ने इसकी धुन बनाई है और कैलाश ने इसे गाया है। ()

 

First Published: Saturday, March 31, 2012, 15:27

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