Last Updated: Wednesday, April 3, 2013, 14:54

टोरंटो : भारतीय मूल की वैज्ञानिक की अगुवाई में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, एड्स की रोकथाम में एचआईवी के आत्म परीक्षण किट काफी मददगार साबित हो सकती है। भारत सहित कई देशों के आंकड़ों पर किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि एचआईवी के आत्म परीक्षण किट के जरिये इस घातक रोग के साथ जुड़ी आशंकाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
मेकगिल विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र के शोध संस्थान (आरआई-एमयूएचसी) की डॉ. नितिका पंत पई द्वारा किया गया यह अध्ययन इस क्षेत्र में अपनी तरह का पहला अध्ययन है। इससे दुनिया भर में इस रोग के जल्द पता लगने और उपचार का रास्ता साफ हो सकता है, जिससे इसके फैलने में कमी आने की उम्मीद है।
पंत पई का कहना है कि एचआईवी के पता चलने के 30 वर्ष बाद भी आज हमारे पास इसका कोई टीका नहीं है। इससे बचाव को ही उपचार के कारगर उपाए के तौर पर देखा जाता है, लेकिन एचआईवी से जुड़े कलंक और भेदभाव जैसी सामाजिक दिक्कतों की वजह से इसकी जांच कराने वालों की संख्या बेहद कम है।
संयुक्त राष्ट्र के एचआईवी-एड्स कार्यक्रम (यूएन एड्स) के मुताबिक दुनिया भर में हर साल लगभग 25 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हो रहे हैं और इनमें से 50 फीसद लोगों को अपने एचआईवी पीड़ित होने का पता ही नहीं है। पंत पई मानती हैं कि एचआईवी के आत्म परीक्षण किट तक लोगों की पहुंच आसान होने से इससे जुड़े नजरिए में सकारात्मक बदलाव आएगा।
इस आत्म परीक्षण किट से लोग घर बैठे ही अपने मसूढ़ों से लिए गए तरल की जांच कर एचआईवी का पता लगा सकते हैं। इस बेहद आसान और गोपनीय जांच से 20 मिनट के भीतर ही परिणाम का पता चल जाता है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 3, 2013, 14:54