एलर्जी से बचने के लिए एलर्जन्स से सम्पर्क जरूरी

एलर्जी से बचने के लिए एलर्जन्स से सम्पर्क जरूरी

एलर्जी से बचने के लिए एलर्जन्स से सम्पर्क जरूरीभोपाल : भारत में एलर्जी पर किए गए एक बड़े शोध से पता चला है कि बच्चों में ‘एलर्जन’ जैसे धूल, परागण, डेन्ड्रफ (रूसी), पालतू जानवर, मच्छर, कीड़े, मधुमक्खी से सम्पर्क बहुत आवश्यक है, क्योंकि ये प्रतिरोधक क्षमता बनाते हैं और यदि ऐसा नहीं हुआ, तो व्यक्ति को सदा एलर्जी होती ही रहती है।

एलर्जी पर शोध करने वाले डॉ. सैय्यद अरहम ने आज यहां यह जानकारी देते हुए कहा, बच्चों में एलर्जन्स से सम्पर्क बहुत जरूरी है। बचपन में थायमस, टान्सिल्स, पीयर्स पेचेस आदि के सम्पर्क में आने से ये प्रतिरोधक क्षमता बनाते हैं और यदि दो से बारह साल की उम्र में इनके सम्पर्क में नहीं आए, तो इनके लिए प्रतिरोधक क्षमता नहीं बन पार्ती।

उन्होंने कहा कि बचपन में इन एलर्जन्स के सम्पर्क में नहीं आया गया, तो फिर जीवन में इनके सम्पर्क में आने पर सदा एलर्जी होती रहती है, क्योंकि प्रतिरोधक क्षमता बनाने वाले ‘शायमन’, टानसिल आदि की कार्यक्षमता कम होती जाती है। अपने इसी शोध के आधार पर डा. अरहम ने दावा किया कि दुनिया भर के समृद्ध पश्चिमी सभ्यता वाले देशों में व्याप्त गलत अवधारणा की वजह से पिछले पचास सालों में एलर्जी लगभग सौ गुना बढ़ गई है।

भारत में तीस बच्चों पर पिछले दो दशकों में नेचुरल इम्यूनोथेरेपी पर किए गए इस शोध में डा. अरहम का कहना है कि बच्चों को सभी प्राकृतिक एलर्जन्स जैसे धूल, परागण, डेन्डरफ (रूसी), पालतू जानवर, मच्छर, कीड़े, मधुमक्खी आदि के सम्पर्क में रखने पर बच्चों में जो प्रतिरोधक क्षमता बनी, वह गांव में रहने वाले बच्चों की तरह थी। (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 14, 2013, 14:56

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