Last Updated: Wednesday, June 20, 2012, 16:53

वाशिंगटन: वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में यह पाया है कि घरेलू कुत्तों की त्वचा पर पाये जाने वाली धूल में बचपन में होने वाली दमे की बीमारी के जीवाणुओं से लड़ने की क्षमता होती है। उन्होंने कहा कि यह खोज आने वाले समय में बच्चों में दमा की चिकित्सा विधि में परिवर्तन लायेगी।
कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय द्वारा मादा चूहे पर किये गये प्रयोग में उसे घरेलू कुत्ते पर पाई जाने वाली धूल खिलाई गई और यह पाया गया कि इसमें श्वसन सम्बन्धी संक्रमण के वाहक जीवाणु ‘रेस्पिरेट्री सिंक्टियल वारस ’ से लड़ने की क्षमता थी।
एक अध्ययनकर्त्ता की फूजीमूरा ने बताया कि आरएसवी संक्रमण आमतौर से नवजात शिशुओं में पाया जाता है जो बाद में होने वाली श्वास की गंभीर बीमारियों का लक्षण है। बचपन में हुये संक्रमण का बाद में अस्थमा में परिवर्तित हो जाने का खतरा बना रहता है। सैनफ्रांसिस्को में अमेरिकन सोसाइटी ऑफ माइक्रोबायोलॉजी की एक बैठक में यह जानकारियां दी गई। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 20, 2012, 16:53