Last Updated: Thursday, January 19, 2012, 15:21

वाशिंगटन : अमेरिका में शोधकर्ताओं का कहना है कि कम से कम मध्यम आयु के स्कूली बच्चों के लिए तो वजन बढ़ने का कैंडी, सोडा, चिप्स व अन्य तरह के जंक फूड से कोई लेना-देना नहीं है।
पेंसिलवेनिया स्टेट विश्वविद्यालय की अध्ययनकर्ता जेनिफर वान हूक ने कहा, हम परिणामों से वास्तव में बहुत आश्चर्यचकित हैं। वास्तव में हमने दो साल तक अपना अध्ययन प्रकाशित नहीं किया क्योंकि हम जो सम्बंध ढूंढ़ रहे थे, वह वहां था ही नहीं।
यह परिणाम तब सामने आए हैं जब 70 के दशक से लेकर साल 2000 से अब तक मोटापाग्रस्त बच्चों की संख्या तीन गुना बढ़ी है।
'सोसियोलॉजी ऑफ एजुकेशन' जर्नल के मुताबिक अर्ली चाइल्डहुड लांगीट्यूडिनल अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह नया अध्ययन किया गया।
जेनिफर व उनकी सह-अध्ययनकर्ता क्लेरी ई. एल्टमैन ने पेंसिलवेनिया में 19,450 बच्चों का नमूनों की तरह इस्तेमाल किया। इनमें पांचवी व आठवीं कक्षा के विद्यार्थी शामिल थे।
अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि पांचवी कक्षा के 59.2 और आठवीं कक्षा के 86.3 प्रतिशत बच्चे ऐसे स्कूलों में पढ़ते थे, जहां जंक फूड की बिक्री होती है।
जिन स्कूलों में जंक फूड बिकता है, उनमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा होने के बावजूद उनमें मोटापे की समस्या नहीं देखी गई।
जंक फूड की प्रचुर उपलब्धता के बावजूद पांचवी कक्षा के छात्रों में 39.1 और आठवीं कक्षा के छात्रों में मोटापे के मामलों में 35.4 प्रतिशत की कमी देखी गई। (एजेंसी)
First Published: Thursday, January 19, 2012, 20:51