Last Updated: Thursday, June 27, 2013, 13:08

लंदन: शोधकर्ताओं का कहना है कि तनाव के बारे में सोचने मात्र से ही इंसान बीमार हो सकता है और यहां तक कि दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। समाचार पत्र `डेली मेल` के अनुसार, पहली बार दिल की बीमारी और लोगों की सोच के बीच सम्बंध के बारे में पता चला है, कि इंसान की अपनी सोच का शरीर के स्वास्थ्य पर कितना प्रभाव पड़ता है।
शोधकर्ताओं का सुझाव है कि डॉक्टरों को तनाव की शिकायत वाले मरीजों का इलाज करते समय उनकी सोच के बारे में भी पता लगाना चाहिए। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मरीज के मन और दिमाग में चलने वाली सोच और बातों पर ध्यान देने से हृदयरोग जैसे खतरों को कम किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान 49 से 50 के बीच की उम्र वाले लोगों से यह प्रश्न पूछा कि वे हर दिन अपने काम और दिनचर्या के दौरान किस तरह की बातें सोचते हैं और कैसा महसूस करते हैं। चिकित्सा सम्बंधी बातों के अलावा उनकी निजी जीवनशैली के बारे में भी कुछ प्रश्न किए गए, जिनमें धूम्रपान, शराब के सेवन, खान-पान और व्यायाम से जुड़े प्रश्न शामिल थे।
फ्रांस के विल्लेजुइफ स्थित इंसर्म मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के हर्मन्न नाबी ने कहा कि हमने पाया कि इंसानी सोच का शारीरिक स्वास्थ्य से सम्बंध है। इससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी बढ़ता है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, June 27, 2013, 13:08