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योग करें मगर संभलकर

नई दिल्ली :  योग से हर रोग और समस्या ठीक हो सकती है, यहां तक कि कैंसर भी, लेकिन योग का अभ्यास हर किसी के लिए नहीं है।  योग प्रशिक्षकों का भी यही कहना है। कुछ तरह के सामूहिक योग प्रशिक्षण से समस्याएं पैदा हो सकती हैं, यहां तक कि कपालभाती और अनुलोम विलोम जैसे लोकप्रिय प्राणायम से भी परेशानी बढ़ सकती है।

 

अनुभवी योग प्रशिक्षक सुभाष शर्मा का कहना है कि योग सभी के लिए नहीं है.. यह कोई पैरासिटामॉल की टिकिया देने जैसा नहीं है। हर समय हर किसी को योग से ठीक नही किया जा सकता। लोगों की अलग-अलग जीवन पद्धति होती है और प्रत्येक व्यक्ति में योग की अलग-अलग प्रतिक्रिया होती है। इसलिए किसी खास समस्या के लिए कोई खास योग का मानक तय नहीं किया जा सकता। उनका मानना है कि योग की कोई विधिवत पुस्तक भी घातक हो सकती है।

 

जानकारों के अनुसार पुस्तक से योग सीख और नौली क्रिया का अभ्यास आरम्भ किरने से एक व्यक्ति के गुदा द्वार की तंत्रिकाओं ने काम करना बंद कर दिया। इस कारण शौच होते समय उन्हें पता ही नहीं चलता था। दरुगध से ही उन्हें इसकी जानकारी हो पाती थी। वहीं टेलीविजन पर किसी योग प्रशिक्षक को देखकर जिस भस्त्रिका प्राणायाम को लोग करते हैं, उससे अस्थमा की बीमारी हो सकती है।

 

भस्त्रिका प्राणायाम में आप फेफड़े को पंप करते हैं। इससे फेफड़ा अत्यधिक सक्रिय हो जाता है और इससे अस्थमा हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, दूसरा लोकप्रिय प्राणायाम कपालभाती भी खतरनाक है, खासतौर से महिलाओं के लिए। यदि कपालभाती का अभ्यास बिना बंध लगाए (गुदा द्वार और योनि को बंद किए बगैर) किया जाता है, तो आंतरिक अंगों पर दबाव बनता है और वे अंग नीचे की ओर सरकते हैं। इससे महिलाओं में गर्भाशय अपनी जगह से हट जाता है।

 

योग का अभ्यास उनके शरीर की प्रकृति और समस्या को दिमाग में रखकर कराते हैं। रोगी के भीतर होने वाली प्रतिक्रिया पर कड़ी नजर रखी जाती है और उसके आधार पर वह योग में बदलाव करते हैं। सामान्य प्राणायाम अनुलोम विलोम भी सभी के लिए नहीं है। जब हम एक नासिका से वायु लेते हैं और दूसरे से उसे छोड़ते हैं तो इससे मस्तिष्क का श्वसन केंद्र विचलित हो जाता है जो कि श्वसन पर नियंत्रण रखता है। अनुलोम विलोम के लिए ढेर सारी सावधानियां बरतनी चाहिए। (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 1, 2012, 15:24

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