Last Updated: Sunday, October 14, 2012, 11:25

नई दिल्ली : रोज अंडे खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है क्योंकि अंडे में विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व होते हैं। लेकिन पिछले एक साल में अंडे की बढ़ी कीमतों ने खाने की प्लेट से अंडे को दूर कर दिया है। पिछले साल 2.30-3 रुपए में मिलने वाला एक अंडा अब चार से पांच रुपए में मिल रहा है, वहीं एक दर्जन अंडे की कीमत 30-35 रुपए से बढ़कर 50-60 से हो गयी है। वहीं अब ब्रांडेड या पैक्ड अंडे 60 से 70 रुपए प्रति दर्जन की कीमत में मिल रहे हैं।
नेशनल एग कोर्डिनेशन कमिटी (एनईसीसी) के अधिकारी, डॉक्टर ए शर्मा, अंडों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की वजह अंडों के ट्रे का कमीशन, खुदरा और थोक भाव के बीच मूल्यों का बढ़ा अंतर बताते हैं। शर्मा ने कहा कि अंडों की उत्पादक लागत बहुत ज्यादा है, इस वजह से भी अंडों की कीमत इतनी बढ़ गयी है।
शर्मा ने कहा, अंडों की उत्पादन लागत बढ़ गयी है। मुर्गियों के दाने-पानी की कीमत बढ़ गयी है। साथ ही रोजगारप्रद होने के बावजूद, दूसरे क्षेत्रों की तरह इस क्षेत्र के लिए किसी तरह की समर्थन प्रणाली नहीं है और सरकार की तरफ से इस क्षेत्र को किसी तरह की सब्सिडी या सहयोग भी नहीं मिलता। अंडों का प्रयोग कई तरह के आहार बनाने में किया जाता है। चाहे वह ऑमलेट, अंडा करी, ऑमलेट करी, एग राइस, अंडा पराठा हो या फिर केक, मफीन या मेओनीज हो, अंडे का इस्तेमाल, खाने को लजीज और अलग बना देता है। अंडों का इस्तेमाल घरों और रेस्त्रांओं में खानपान, फुटपाथ पर फेरी लगाने वाले अंडा विक्रेता की आजीविका कमाने से लेकर घरेलू सौंदर्य नुस्खों में भी किया जाता है। लेकिन अंडों की बढ़ी कीमतों ने इसके सबसे बड़े उपयोगकर्ताओं यानि आम घरों में इनके इस्तेमाल को प्रभावित किया है।
सुखदेव विहार इलाके में स्थित एक किराने की दुकान के मालिक कमल किशोर ने कहा कि अंडों की बिक्री अब पहले से थोड़ी कम हो गयी है। पहले जो लोग हर हफ्ते, दो-चार दर्जन अंडे खरीदते थे, उन्होंने अब एक से दो दर्जन अंडों में ही काम चलाना शुरू कर दिया है। वहीं शर्मा ने अंडे की ब्रिकी कम होने की बात से इनकार करते हुए कहा कि अंडों की बिक्री कम नहीं हुई है लेकिन यह सही है कि निम्न मध्यम वर्ग के लोगों में इसकी खपत कुछ हद तक प्रभावित हुई है। मदनगीर इलाके में स्थित एक पॉल्ट्री फार्म के मालिक विमल शर्मा ने कहा कि मुर्गीपालन पहले जितना आसान नहीं रहा। हालांकि मुर्गीपालन अभी भी फायदे का व्यापार है लेकिन उत्पादन की लागत बढ़ गयी है और मुनाफा कुछ कम हो गया है।
शर्मा ने कहा कि अंडों की खपत को और मुर्गीपालन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को मदद करनी चाहिए। निजी या सरकारी तौर पर अंडों के प्रसंस्करण और भंडारण की व्यवस्था होनी चाहिए। अंडों का सेवन शरीर से बीमारियों को दूर रखता है और यह प्रोटीन-विटामन का प्रमुख स्त्रोत है, इन्हें देखते हुए एनईसीसी भी अपनी ओर से मूल्य नियंत्रण आदि के लिए प्रयास कर रही है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 14, 2012, 11:25