कर्नाटक में कमल खिलाने यानी बीजेपी को सत्ता लाने का श्रेय येदियुरप्पा को जाता है हालांकि ये अलग बात है कि अब वह बीजेपी में नहीं और अपनी अलग पार्टी का निर्माण कर चुके हैं। बीजेपी को पहली बार कर्नाटक और किसी दक्षिण भारतीय राज्य में सत्ता (वर्ष 2008) में लाने वाले 69 वर्षीय येदियुरप्पा को ही जाता है। साल 2008 में येदियुरप्पा की कड़ी मेहनत के बाद ही बीजेपी सत्ताी में आई थी। तब बीजेपी को 224 सीटों में से 110 सीटें मिली थीं। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 80 सीटों से संतोष करना पड़ा था।
भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने येदियुरप्पा को पार्टी से इस्तीफा देने से रोकने का प्रयास किया था लेकिन नाकाम रहे। फिर से मुख्यमंत्री पद दिए जाने और नहीं तो कम से कम उन्हें राज्य इकाई का पार्टी प्रमुख बनाये जाने की मांग को भाजपा द्वारा अस्वीकार किये जाने के बाद वह ज्यादा आक्रामक हो गए थे। और आखिरकार उन्होंने बीजेपी से 40 साल पुराना नाता तोड़ लिया और उसके बाद उन्होंने कर्नाटक जनता पार्टी बना ली।
वह बीजेपी और कांग्रेस को किस प्रकार टक्कर दे पाएंगे यह कहना मुश्किल है लेकिन गौरतलब है कि पिछले साल भाजपा से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की कर्नाटक जनता पार्टी (केजेपी) को कुछ समय पहले नगर निकायों के लिए हुए चुनाव में 147 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में एक भी सीट नहीं मिली थी।
हालांकि इतना तय है कि कुछ सीटों पर येदियुरप्पा अपने समर्थकों के साथ जीत दर्ज कर सकते हैं या बीजेपी उम्मीदवार के लिए जीतने में परेशानी पैदा कर सकते है। क्योंकि येदियुरप्पा की लिंगायत समुदाय पर काफी पकड़ है। लिंगायत समुदाय के लोग उन्हें हीं वोट देंगे इसमें कोई संशय नजर नहीं आता। येदियुरप्पां लिंगायत समुदाय से ताल्लुतक रखते हैं। कर्नाटक की साढे छह करोड की आबादी में 17 फीसदी भागीदारी लिंगायत समुदाय की है।
यह चुनाव विधानसभा चुनाव है जिसमें वोटिंग का मूड और वोट स्विंग कुछ अलग तरह का होता है। येदियुरप्पा कुछ सीटों पर जीत तो जरूर दर्ज कर सकते हैं लेकिन अपने बलबूते पर सरकार बना पाना उनके लिए टेढ़ी खीर साबित होगी।
रक्षा सौदे में रिश्वत के आरोपों के चलते सियासी तूफान के बीच कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल सेक्यूलर के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी एक बार फिर राज्य की सत्ता की बागडोर संभालने के लिए चुनावी समर में कूद चुके हैं। कुमारास्वामी के नेतृत्व में जेडीएस कुल 224 विधानसभा सीटों में से 223 पर चुनाव लड़ रही है।
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक के 18वें मुख्यमंत्री रहे कुमारास्वामी जन्म कर्नाटक के हासन जिले में होलेनासिपुरा तालुक के हरदनहल्ली गांव में 16 दिसंबर 1959 में हुआ था। उनके पिता एचडी देव गौड़ा जनता दल की सरकार में भारत के प्रधानमंत्री चुने गए थे। कुमारास्वामी अपने मित्रों और समर्थकों के बीच कुमार अन्ना के नाम ज्यादा प्रसिद्ध हैं।
उन्होंने हाई स्कूल की शिक्षा बैंगलोर के एमईएस शिक्षण संस्थान जयनगर में पूरी की। उन्होंने पीयूसी विजय कॉलेज से पूरी की और बीएससी की पढ़ाई नेशनल कॉलेज बासवंगगुडी में की। कुमारास्वामी ने 13 मार्च 1986 को बैंगलोर में शादी की। उन्होंने दो शादी की। पहली पत्नी का नाम अनिता है और दूसरी पत्नी का नाम राधिका है। उन्हें एक पुत्र और एक पुत्री है। जिसका नाम निखिल है। पुत्री का नाम शमिका है।
कुमारास्वामी ने राजनीतिक करियर की शुरूआत 1996 में कनकपुरा लोकसभा सीट जीत कर की। लेकिन 1998 में हुए मध्यवधि चुनाव चुनाव उन्हें इस लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने 1999 में सतनुर विधानसभा चुनाव लड़कर कर्नाटक विधानसभा सदस्य बनने का प्रयास किया पर सफलता हाथ नहीं लगी। लेकिन 2004 के विधानसभा चुनाव में रामनगर विधानसभा सीट जीतकर कर्नाटक विधानसभा में प्रवेश पाने सफल रहे। उनके नेतृत्व में जनता दल सेक्यूलर के 42 विधायकों 2006 में सरकार बनाने का दावा पेश किया। कर्नाटक के तत्कालीन राज्यपाल टीएन चतुर्वेदी ने 28 जनवरी 2006 को कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री धर्मसिंह के इस्तीफे के बाद सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।
कुमारास्वामी 4 फरवरी 2006 से 9 अक्टूबर 2007 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 27 सितंबर को कहा था कि भाजपा और जनता दल सेक्यूलर के बीच सरकार बनाने को लेकर हुए समझौते के तहत तीन अक्टूबर को ऑफिस छोड़ दूंगा। लेकिन जनता दल सेक्यूलर के कुछ विधायकों ने सरकार में बने रहने के लिए कहा। फलस्वरूप 4 अक्टूबर को उन्होंने सत्ता भाजपा को सौंपने से इनकार कर दिया और आठ अक्टूबर 2007 को राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। दो दिन बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। हालांकि बाद उन्होंने भाजपा को समर्थन देने का फैसला किया। भाजपा के बीएस येदियुरप्पा ने 12 नवंबर 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
कर्नाटक में भाजपा के तीसरे और प्रदेश के वर्तमान एवं 21वें मुख्यमंत्री जगदीश शिवप्पा शेट्टार का जन्म कर्नाटक के बगलकोट जिले में बडमी तालुक के केरूर गांव में 17 दिसंबर 1955 को हुआ था। उनकी गिनती भारतीय जनता पार्टी के सीनियर नेताओं में होती है।
उनके पिता का एसएस शेट्टार और श्रीमती बसावनेम्मा था। उनके पिता एसएस शेट्टार जनसंघ के सीनियर नेता थे और पांच बार हुबली-धारवाड़ नगर निगम के लिए चुने गए। हुबली-धारवाड़ के पहले जनसंघ मेयर बने। उनके चाचा सदाशिव शेट्टार दक्षिण भारत में पहले जनसंघ विधायक बने जो 1967 में हुबली सिटी से कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए।
जगदीश शेट्टार ने बीकॉम और एलएलबी की पढ़ाई की और 20 साल तक हुबली कोर्ट में वकालत की। उन्होंने शिल्पा से शादी की। उनके दो पुत्र हैं जिनका नाम प्रशांत और संकल्प है।
शेट्टार ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत भाजपा के छात्र संगठन आखिल भारतीय विद्धार्थी परिषद से की। छात्र राजनीति में वे काफी सक्रिय रहे। उसके बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए।
शेट्टार 1990 में भारतीय जनता पार्टी के हुबली ग्रामीण इकाई के अध्यक्ष बने। 1994 में धारवाड़ जिले इकाई के अध्यक्ष बने और पहली बार यहीं से 1994 में कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए। दोबारा हुलबी ग्रामीण विधानसभा सीट से चुने गए। उसके लगातार चार बार इसी विधानसभा सीट से चुन जाते रहे। 1996 में भाजपा प्रदेश सचिव चुने गए। 1999 में विधानसभा में विपक्ष के नेता बने।
शेट्टार 2005 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने। उसके बाद 2006 में जनता दल सेक्यूलर-भाजपा गठबंधन सरकार में राजस्व मंत्री बने। 2008 विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद शेट्टार को सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। हालांकि 2009 में इस पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उन्हें येदियुरप्पा मंत्रिमंडल में शामिल कर ग्रामीण विकास और पंचायत राज विभाग मंत्री बनाया गया।
बी एस युदियुरप्पा के 2011 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शेट्टार का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आया। हालांकि भाजपा विधायक दल के नेता बनने में डी वी सदानंद गौड़ा से हार गए। वे सदानंद गौड़ा सरकार में भी मंत्री बने रहे।
शेट्टार कर्नाटक के उत्तरी क्षेत्र में बहुत ही प्रभावशाली नेता के तौर पर जाने जाते हैं। उन्होंने अपने मंत्रित्वकाल में कई सुधार किए। खालसा बंदूरी परियोजना, बेलगाम में स्वर्ण विधान सौदा का निर्माण करवाया। हुबली-धारवाड़ में दक्षिण-पश्चिम रेलवे मुख्यालय का स्थापना करवाया।
जुलाई 2012 में येदियुरप्पा समर्थित कई भाजपा विधायकों ने सदानंद गौड़ा को हटाकर शेट्टार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने लगे। भाजपा की प्रदेश राजनीति में फिर बदलाव आया और भाजपा हाईकमान ने सदानंद गौड़ा को हटाकर शेट्टार को मुख्यमंत्री बनाने की मुहर लगा दी। इस प्रकार जगदीश शेट्टार 12 जुलाई 2012 को कर्नाटक के 21वें मुख्यमंत्री बने।
कर्नाटक के 17वें मुख्यमंत्री एन. धरम सिंह का जन्म 25 दिसंबर 1936 को हुआ। सिंह कर्नाटक के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। वह बिदार से लोकसभा सांसद हैं। राजपूत समुदाय से आने वाले सिंह हैदराबाद के उस्मानिया विद्यालय से कानून की पढ़ाई की। सिंह ने कुछ समय तक वकालत का पेशा भी किया। इनके दो पुत्र विजयसिंह, अजयसिंह और पुत्री प्रियदर्शनी हैं।
धरम सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत गुलबर्ग के नगर निगम चुनाव से की और 1960 के अंतिम दशक में कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद सिंह कांग्रेस के एक निष्ठावान कार्यकर्ता की तरह काम करते आए और उत्तर कर्नाटक के दिग्गज नेता के रूप में उभरे। जेवारगी निर्वाचन क्षेत्र से वह लगातार आठ बार विधानसभा के लिए चुने गए। विनम्र स्वभाव के कारण राजनीति में सिंह को ‘अजातशत्रु’ की उपाधि दी गई।
सिंह राज्य सरकार में कई बार मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। जबकि वर्ष 2004-06 तक वह राज्य के मुख्यमंत्री रहे। अभी सिंह लोकसभा में सांसद हैं। वर्ष 2008 में अवैध खनन पर दी गई पूर्व न्यायाधीश एवं लोकायुक्त एन. संतोष हेगड़े की रिपोर्ट मंय धरम सिंह का नाम आया।