Last Updated: Friday, December 6, 2013, 19:05
मध्य प्रदेश में 25 नवंबर को हुए मतदान के बाद एक बार फिर दोनों प्रमुख दलों भाजपा एवं कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होने तथा किसी दल को अकेले की दम पर सरकार बनाने लायक सीटे मिल पाने के कयास भले ही लगाए जा रहे हों। लेकिन मप्र का इतिहास इस बात का गवाह है कि राज्य की जनता ने जिस दल को दिया है उसे छप्पर फाड़कर ही दिया है और सत्ता पाने वाले किसी भी दल को सरकार बनाने के लिये तीसरे दल का सहारा नहीं लेना पड़ा है।