Last Updated: Friday, February 28, 2014, 00:35
देश के दोनों बड़े राष्ट्रीय दल कांग्रेस और भाजपा एक बार फिर अपने-अपने जनाधार विहीन नेताओं के कुचक्र के शिकार होते दिखाई दे रहे हैं। महज कुछ हफ्तों में लोकसभा चुनाव शुरू हो जाएंगे। ऐसे में दोनों ही राष्ट्रीय दलों के कुछ चुने हुए नेताओं के फैसले, बयानों के चलते एक बार फिर ऐसा लगता है कि ये आम चुनाव भी सकारात्मक मुद्दों के बजाय जाति, मज़हब और क्षेत्रीयता के मकड़जाल में उलझ जाएगा।