Last Updated: Saturday, December 29, 2012, 20:40
आर्थिक उदारीकरण के साथ-साथ देश में राजनीतिक उदारीकरण और पितृ सत्तात्मक भारतीय समाज का उदारीकरण भी होना जरूरी था जो नहीं हो पाया। अब वक्त आ गया है, भारतीय समाज व देश की राजनीति में सकारात्मक सोच के साथ सुधार की तरफ कदम बढ़ाया जाए।