Last Updated: Saturday, August 3, 2013, 14:37
आम हिंदी फिल्मों की तरह ही इस कहानी में सारे मसाले हैं और इसका अंत भी काफी सुखद है। पगड़ीधारी गुरूबाज सिंह ने जब एक मराठी डोमले परिवार का दरवाजा खटखटाया तो लगा कि लगा कि कोई अतिथि है।
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