Last Updated: Wednesday, August 21, 2013, 16:02

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री के प्रमुख आर्थिक सलाहकार सी रंगराजन ने संकेत दिया कि आर्थिक नरमी के कारण बैंकों को ज्यादा एनपीए (गैर निष्पादक आस्तियां) का सामना करना पड़ सकता है।
रंगराजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था को जो रुझान है उससे एनपीए बढ़ रहा है। यदि एनपीए में बढोतरी बैंकों के नियंत्रण से बाहर हो गयी हो तो उन्हें एनपीए की पहचान के मामले में बहुत सतर्क रहने की जरूरत होगी। वह केंद्रीय जांच ब्यूरो के अधिकारियों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के केंद्रीय सतर्कता अधिकारियों के पांचवें सम्मेलन में बोल रहे थे।
रंगराजन ने कहा कि बढ़ते एनपीए का आकलन करते हुए बैंकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आस-पास क्या हो रहा है। कुछ वक्त के लिए ऋण का हिस्सा एनपीए हो सकता है। अर्थव्यवस्था में नरमी के कारण बैंकों का एनपीए पिछले दो साल में बढ़ रहा है। एसबीआई और पंजाब नैशनल बैंक समेत सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों का कुल एनपीए मार्च 2013 के अंत तक कुल बकाया ऋण के चार प्रतिशत से उपर हो गया है।
कृषि, विनिर्माण और खनन क्षेत्र में खराब प्रदर्शन के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की जनवरी से मार्च की तिमाही में घटकर 4.8 प्रतिशत हो गई । 2012-13 में वृद्धि घट कर 5 प्रतिशत रही जो एक दश की न्यूनतम दर है। इस वर्ष जून की तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए बढ़कर 1.76 लाख करोड़ रुपए हो गया जो 31 मार्च 2013 को समाप्त तिमाही में 1.55 लाख करोड़ रुपए था।
हाल में वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने राज्य सभा को लिखित जवाब में बताया कि बैंकों के एनपीए में बढ़ोतरी का रख है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 21, 2013, 16:02