Last Updated: Saturday, October 13, 2012, 17:09
तिरूवनंतपुरम : केरल की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी और विपक्षी वामपंथी पार्टी फिर से आमना-सामना करने पर उतारू हो गए हैं। इस बार नई सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नीति विवाद की मूल जड़ है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता वी.एस. अच्युतानंदन का जहां कहना है कि नीति बड़ी कम्पनियों के पक्ष में है, वहीं मुख्यमंत्री ओमन चांडी का कहना है कि माकपा कांग्रेस के हर प्रस्ताव का विरोध करती है।
नई नीति हालांकि आधिकारिक रूप से जारी नहीं हुई है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अच्युतानंदन के पास इसकी एक प्रति है और उन्होंने कहा कि यह राज्य के हित में नहीं है। अच्युतानंदन ने चेतावनी दी है कि यदि नीति फिर से तैयार नहीं की गई तो चांडी सरकार को व्यापक विरोध के लिए तैयार रहना चाहिए।
अच्युतानंदन ने संवाददाताओं से कहा, नई आईटी नीति सिर्फ बड़ी कम्पनियों को फायदा पहुंचाएगी। यह रियल एस्टेट कम्पनियों के लिए वरदान साबित होगी, क्योंकि आईटी पार्क की पुरानी अवधारणा आईटी टाउनशिप के लिए रास्ता खोल रही है।
नीति का मसौदा कुछ महीने पहले जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि सरकारी ई-गवर्नेस कार्यक्रम में मुफ्त सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा। अच्युतानंदन ने कहा, लेकिन अंतिम नीति में इसका जिक्र नहीं है। बल्कि इसमें कहा गया है कि इसमें माइक्रोसॉफ्ट और सैप का उपयोग किया जाएगा, जो राज्य के लिए बेहतर नहीं होगा।
चांडी ने पलटवार करते हुए कहा कि माकपा कांग्रेस के हर प्रस्ताव का विरोध करती है और सालों बाद अपनी गलती समझती है। चांडी ने कहा,1990 के दशक के शुरू में जब मैं वित्त मंत्री था, उन्होंने एक सरकारी कार्यालय में इसलिए तबाही मचाई, क्योंकि सबसे पहले उस कार्यालय में कम्प्यूटरीकरण किया गया था। अब स्थिति यह है कि वे सभी लैपटॉप लेकर चलते हैं। इसी तरह उन्होंने 1970 में ट्रैक्टर का विरोध किया था। उन्होंने स्व-वित्तपोषित पेशेवर कॉलेजों का भी इसी तरह विरोध किया था।
उल्लेखनीय है कि अच्युतानंदन ऐसे वक्त नई आईटी नीति का विरोध कर रहे हैं, जब कि राज्य का कुल आईटी सॉफ्टवेयर निर्यात लगभग 3000 करोड़ रुपये का है और जो पड़ोसी राज्य से काफी कम है। राज्य में आईटी उद्योग में 45 हजार पेशेवरों को रोजगार मिला हुआ है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, October 13, 2012, 17:09