कोलगेट : परस्पर विरोधी रुख पर कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार | Colgate

कोलगेट : परस्पर विरोधी रुख पर कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

कोलगेट : परस्पर विरोधी रुख पर कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार नई दिल्ली : कोयला खान आवंटन मामले में मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की खिंचाई की और उसके रुख को ‘परस्पर विरोधी’ बताया। इस खिंचाई से तंग हो अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने कहा, सभी सवाला का जवाब देना ‘बड़ा मुश्किल’ और ‘बड़ा तनावपूर्ण है।’

न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार का रुख विरोधाभासी है और रिकार्ड से मेल नहीं खाता।

न्यायमूर्ति आर एम लोढा, न्यायमूर्ति मदन लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मंगलवार को अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती से नये सिरे से सवाल किये। इस मामले में सारा रिकार्ड पेश नहीं करने के संदर्भ में न्यायाधीशों ने तीखे सवाल किये। हमेशा संयत आचरण के लिये जाने जोने वालेमशहूर वाहनवती झुझला गए।

उन्होंने कहा, ‘मैं सब कुछ अपने सिर पर लेकर नहीं चल सकता।’ न्यायाधीशों के इन सवालों के मद्देनजर अटार्नी जनरल ने न्यायालय से दो सप्ताह का समय मांगा ताकि वह इस मामले के सभी तथ्यों पर बहस के लिये समुचित तैयारी कर सकें।

केन्द्र ने इससे पहले भी कोयला खदानों की पहचान करने और उनके आबंटन से संबंधित रिकार्ड पेश करने के लिये न्यायालय से समय मांगा था। अटार्नी जनरल ने कहा, ‘यह बहुत कठिन है। यह बहुत थकाने वाला है। मैं सब कुछ अपने सिर पर लेकर नहीं चल सकता। एकबार जब मैं एक पहलू पर बहस करता हूं तो दूसरे पहलू को लेकर एक नया सवाल उठ जाता है। मैं आगे कैसे बढ़ूंगा।’

वाहनवती ने कहा, ‘मैंने कोयला खदानों की पहचान के बारे में जवाब दे दिया है। मैंने सीएमपीडीआई के बारे में भी जवाब दिया है और अब कोयला खदानों की स्थिति के बारे में सवाल है।’

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीशों ने सरकार को अपने पहले के दृष्टिकोण से इतर विरोधाभासी रुख अपनाने के लिये उसे आड़े हाथ लिया।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘कल दाखिल किया गया हलफनामा पहले के हलफनामे के विपरीत है। कई मुद्दों पर हलफनामे में या तो कोई जिक्र नहीं है या फिर कुछ और ही कहा गया है। आप बहस कुछ कर रहे हैं लेकिन दस्तावेज कुछ और कहते हैं। कोयला खदानों के आबंटन की वैधता को आपको न्यायोचित ठहराना है।’

शीर्ष अदालत ने सरकार द्वारा 218 कोयला खदानों के आबंटन का विवरण अटार्नी जनरल से मांगा और उनसे कहा कि प्राकृतिक संसाधन के आबंटन के मामले में प्रत्येक खदान के बारे में स्पष्टीकरण दिया जाये।

अटानी जनता इन सवालों का जवाब देने में असहजता महसूस कर रहे थे और इससे खिन्न होकर उन्होंने सारे दस्तावेज पेश करने के लिये समय देने का अनुरोध किया।

न्यायालय ने कहा कि आबंटन के मसले पर वह पूरी स्पष्टता चाहती है। न्यायाधीशों ने अटार्नी जनरल से कहा, ‘या तो हम कोई भी सवाल किये बगैर ही आपको सुने और अपना फैसला सुना दें या फिर हम सवाल पूछें। यदि हम आपसे सवाल पूछते हैं तो आपको अचरज लगता है। हमे क्या करना चाहिए।’

न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई स्थगित करने से इंकार करते हुये कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अगली तारीख पर यह अवरोध दूर हो जायेगा। आप इस मामले में अपने तरीके से आगे बढ़िये। हम आपकी परेशानी समझते हैं लेकिन आपको साबित करना होगा कि कानून की नजर में आबंटन न्यायोचित हैं।’ (एजेंसी)

First Published: Tuesday, September 24, 2013, 20:42

comments powered by Disqus