Last Updated: Saturday, April 7, 2012, 14:46
हैदराबाद : योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में गरीबी कम होने की रफ्तार इससे पिछली सरकारों के मुकाबले दोगुनी रही। उन्होंने गरीबी रेखा के खिलाफ की जा रही टिप्पणियों को ‘प्रचार पाने का सस्ता हथकंडा’ बताया।
आहलूवालिया ने कहा, ‘संप्रग सरकार से पहले गरीबी में गिरावट की दर 0.74 प्रतिशत सालाना थी जबकि 2004 के बाद इसकी दर 1.5 प्रतिशत रही। इस लिहाज से गरीबी में कमी आने की दर दोगुनी हो गई।’ योजना आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2004-05 से 2009-10 के बीच गरीबी में गिरावट की दर 1.5 प्रतिशत रही जबकि 1993..94 से 2004-05 के बीच यह 0.75 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा, ‘यह आलोचना करना कि सरकार कृत्रिम रूप से गरीबी घटा रही है, पूरी तरह बेतुका है। गरीबी 2004 में 37.2 प्रतिशत से घटकर 2009-10 में 30 प्रतिशत से कुछ कम पर आ गयी है।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने इस बात से इनकार किया कि गरीबी रेखा को नीचे लाकर सरकार आबादी के एक बड़े तबके को कुछ फायदों से वंचित रखना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘यह सही नहीं है। कई लाभ गरीबी रेखा से जुड़े नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण लाभ शिक्षा का अधिकार है जो गरीबी रेखा से नहीं जुड़ा है। दूसरी महत्वपूर्ण योजना नरेगा है। यह गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों तक सीमित नहीं है। तीसरा, खाद्य सुरक्षा विधेयक है, यह भी गरीबी रेखा तक सीमित नहीं है। इससे देश की 46 प्रतिशत आबादी लाभान्वित होगी।’
एक सवाल के जवाब में मोंटेक ने कहा गरीबी रेखा के मुद्दे पर गौर करने के लिये एक नई तकनीकी समिति जल्द ही नियुक्त की जायेगी। उन्होंने कहा ‘हम समिति की कार्यशर्तों पर काम कर रहे हैं। समिति गरीबी रेखा से जुड़े सभी मुद्दों पर गौर करेगी। मोटे तौर पर इसका दायरा अलग अलग तरीके से की जा रही आलोचनाओं पर गौर करना होगा। इसके अलावा यह प्रधानमंत्री के कहे अनुसार गरीबी आंकने के बहुआयामी उपायों को भी देखेगी।’
उन्होंने कहा कि तेंदुलकर समिति द्वारा सुझाई गई गरीबी रेखा विभिन्न सरकारों लाभों के साथ नहीं जुड़ी है। गरीबी रेखा के लिये एक और परिभाषा की जरुरत है। 12वीं योजना के आगे वर्ष 2011.12 के आंकड़ों को ही इसमें होने वाली प्रगति के लिये उपयोग में लाया जायेगा। (एजेंसी)
First Published: Saturday, April 7, 2012, 21:13