Last Updated: Wednesday, April 10, 2013, 21:39
जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय ने तेल कंपनियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में वृद्घि की आड़ में पेट्रोल के दामों में वृद्घि किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबड़े व न्यायाधीश आर. एस. झा की खंडपीठ ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र वाजपेई की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में वृद्घि होने पर तेल कंपनियां पेट्रोल के दामों में वृद्घि कर देती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में गिरावट आने पर पेट्रोल के दामों में अनुपात के अनुसार तेल कंपनियां कमी नहीं करती है, जिसके कारण पेट्रोल के दाम में लगातार वृद्घि हो रही है।
याचिका में कहा गया था कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में नवम्बर 2007 में तेल का दाम प्रति बैरल 98.18 डॉलर था, तब पेट्रोल का दाम प्रति लीटर 40.20 रूपये था। फरवरी 2013 में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल का दाम प्रति बैरल 95.86 डॉलर होने के बावजूद पेट्रोल का दाम 78.28 रूपये था।
याचिका में यह भी कहा गया था कि पेट्रोल पर केन्द्र व राज्य सरकार 60 प्रतिशत टैक्स वसूलती है। याचिका के साथ सूचना के अधिकार के तहत वर्ष 2009 से 2012 तक प्राप्त हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कंपनी व भारत पेट्रोलियम कंपनी का लाभ व हानि की विवरण शीट भी प्रस्तुत की गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जबाव मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ज़े पी. संघी व अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 10, 2013, 21:39