Last Updated: Tuesday, March 20, 2012, 12:29
नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के बजट प्रस्तावों से महंगाई पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी, जो फिलहाल 6 से 7 फीसद के दायरे में है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने आज यहां आईएमएफ-इक्रियर के एक कार्यक्रम में कहा कि महंगाई में फिलहाल कुछ स्थिरता और यहां तक कि नरमी देखी जा रही है, लेकिन इसमें खाद्य वस्तुओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
लघु अवधि में मानसून और सरकार द्वारा बजट में उठाए गए कदमों से इसमें कमी आएगी। गोकर्ण ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेल की उंची कीमतों और मुद्रा के उतार-चढ़ाव की भी भूमिका होती है। वृद्धि दर में कमी दिख रही है। इससे वास्तव में मांग पक्ष की महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी। पश्चिम एशियाई से आपूर्ति में चिंता और विश्व अर्थव्यवस्था में सुधार से कच्चे तेल के दाम 125 डालर प्रति बैरल पर पहुंच गए हैं।
इस तरह की भी अटकलें चल रही हैं कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के ऊंचे दामों के मद्देनजर सरकार पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ा सकती है। यहां तक कि वित्त मंत्री भी यह बात कह चुके हैं कि कर प्रस्तावों का कुछ मुद्रास्फीतिक असर होगा। हालांकि, सरकार ने बजट में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए जो कदम उठाने की घोषणा की है उससे खाने पीने की वस्तुओं के दामों में कुछ कमी आएगी। नीतिगत कार्रवाई के लिए नए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के बेंचमार्क बनने के बारे में गोकर्ण ने कहा कि हम नई श्रृंखला के दो माह के आधार पर नीतिगत फैसला नहीं ले सकते।
गोकर्ण ने कहा कि महंगाई प्रबंधन के लिए इस श्रृंखला ने कुछ अच्छा दिखाया है। हम इस पर नजर रखे हुए हैं। यह हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण बेंचमार्क बन सकता है।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 20, 2012, 17:59