Last Updated: Monday, March 19, 2012, 14:31
नई दिल्ली : वर्ष 2012-13 के केंद्रीय बजट में वित्तीय मोर्चे पर सरकार के समक्ष आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिये कोई ठोस समाधान पेश नहीं किये जाने से सरकार की वित्तीय साख गिर सकती है। वैश्विक साख निर्धारण एजेंसी मूडीज ने अपने ताजा नोट में इस तरह की आशंका व्यक्त की है। एजेंसी के अनुसार सरकारी राजस्व के लिये कंपनी कर पर अधिक निर्भरता तथा उपभोक्ता वस्तु एवं विनिमय दर की बढ़ती संवेदनशीलता से सरकार की ऋण साख कमजोर पड़ी है। इन कमजोरियों को दूर करने के लिये केन्द्रीय बजट में विशिष्ट नीतियों का अभाव ऋण साख को नकारात्मक बनाता है।
मूडीज़ के अनुसार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 प्रतिशत तक पहुंच जाना वर्ष के दौरान वित्तीय मोर्चे पर लक्ष्यों को हासिल करने में भारी गिरावट दर्शाता है, यह भारत के लिए ऋण साख के मामले में नकारात्मक स्थिति है। वर्तमान में मूड़ीज की रिणसाख मामले में भारत के लिए बीएए-3 रेटिंग है जो स्थिर परिदृश्य दर्शाती है।
अर्थशास्त्रियों का भी यही कहना है कि स्पष्ट राजकोषीय मार्गनिर्देशन और अनिश्चित वैश्विक माहौल को देखते हुए अगले वित्त वर्ष में 5.1 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा हासिल करना भी काफी मुश्किल लगता है। मूडीज के अनुसार बजट को लेकर आमधारणा यही है इसमें रुके पड़े आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए कोई नई सोच नहीं है और यह राजकोषीय घाटे की स्थिति में सुधार लाने में भी असफल रहा है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, March 19, 2012, 20:01