‘बारिश की कमी से फसलों का उत्पादन होगा प्रभावित’

‘बारिश की कमी से फसलों का उत्पादन होगा प्रभावित’

‘बारिश की कमी से फसलों का उत्पादन होगा प्रभावित’
नई दिल्ली : कृषि सचिव आशीष बहुगुणा ने मंगलवार को कहा कि इस बार मानसूनी वर्षा की कमी के कारण खरीफ फसलों का उत्पादन प्रभावित होगा और इसमें मक्का जैसी मोटे अनाज की खेती पर सबसे अधिक पड़ने के असार हैं। बहुगुणा ने से कहा कि इस वर्ष 25 करोड़ 74.4 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन के स्तर को पाना निश्चित तौर पर संभव नहीं लगता, पर अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि उत्पादन में वास्तव में कितनी गिरावट आएगी।

कमजोर बरसात के कारण खरीफ फसलों की उत्पादकता और उत्पादन कुछ हद तक प्रभावित होगा। भारत ने 2011-12 के फसल वर्ष (जुलाई से जून) में 25 करोड़ 74.4 लाख टन का रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन किया था जिसमें खरीफ फसल (गर्मी में बोई जाने वाली फसल) का उत्पादन 12 करोड़ 74.4 लाख टन तथा रबी :जाड़े में बोई जाने वाली फसल: का उत्पादन 12 करोड़ 75 लाख टन शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि कोई साफ तस्वीर अगले सात से 10 दिनों में उभरेगी। उन्होंने कहा कि मुख्य चिंता मोटे अनाजों की है। बरसात की कमी का सबसे भयंकर सामना कर्नाटक राज्य को करना पड़ रहा है। पानी की कमी से जो अन्य राज्य प्रभावित हैं उनमें महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान शामिल हैं। बहुगुणा ने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में उपज गिरेगी और यह हमारे लिये प्रमुख चिंता का विषय है।

हालांकि बहुगुणा ने कहा कि स्थिति वर्ष 2009 के जितनी बुरी नहीं है। उस साल भयंकर सूखा पड़ा था जिससे खाद्यान्न उत्पादन में 1.6 करोड़ टन की गिरावट आई थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में, आज के ही दिन तक बरसात में 27 प्रतिशत की कमी आई थी जो कमी आज 22 प्रतिशत है। इस बार हालांकि बरसात ओडीसा, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में कम हुई है लेकिन इसका विस्तार ज्यादा खराब नहीं है। इस वर्ष अभी तक धान की बुवाई 10 प्रतिशत कम है, जबकि मोटे अनाज की 24 प्रतिशत, दलहनों की बुवाई 31 प्रतिशत, तिलहनों की 10 प्रतिशत और कपास की नौ प्रतिशत कम है।

कल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संबंधित विभागों और मंत्रालयों को निर्देश दिया कि वे साप्ताहिक आधार पर मानसून की स्थिति की निगरानी करते हुए राज्यों के साथ तालमेल कायम कर किसी भी प्रतिकूल स्थिति का सामना करें। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, July 24, 2012, 23:16

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