Last Updated: Wednesday, February 20, 2013, 17:51

नई दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने श्रमिक संगठनों से दो दिन की आम हड़ताल का आह्वान वापस लेने की अपील करते हुये कहा है कि हड़ताल से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा और 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का नुकसान होगा।
एसोचैम का कहना है कि पहले से ही नरमी से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था इस में हड़ताल हुई तो यह और कमजोर होगी। चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि की दर पिछले एक दशक में सबसे कम (5 प्रतिशत) रह जाने का अनुमान है। पिछले वर्ष आर्थिक वृद्धि 6.2 प्रतिशत रही थी।
एसोचैम अध्यक्ष राजकुमार धूत ने कहा है कि महंगाई की चिंता सभी को है और श्रमिक संगठनों की प्रस्तावित हड़ताल से वस्तुओं की आपूर्ति गड़बड़ाने से महंगाई और बढ़ सकती है। धूत ने कहा कि देशव्यापी इस हड़ताल से बैंकिंग, बीमा और ट्रांसपोर्ट जैसे सेवा क्षेत्र पर ज्यादा असर पड़ेगा साथ ही औद्योगिक उत्पादन भी प्रभावित होगा। यहां तक कि सब्जियों की आवाजाही प्रभावित होने से कृषि क्षेत्र पर भी असर होगा। फल एवं सब्जियां यदि तुरंत गंतव्य तक नहीं पहुंचती हैं तो इनके खराब होने का जोखिम रहता है।
उल्लेखनीय है कि सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों और लगातार उच्चस्तर पर बनी महंगाई को देखते हुये सभी प्रमुख सैंट्रल ट्रेड यूनियनों ने 20 और 21 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
हड़ताल से जीडीपी में होने वाले नुकसान का अनुमान दैनिक जीडीपी में 30 से 40 प्रतिशत नुकसान के आधार पर लगाया गया है। केन्द्रीय साख्यिकी संगठन :सीएसओ: के अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान देश का सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: 95 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इस हिसाब से दैनिक जीडीपी 26,000 करोड़ रुपये और दो दिन में 52,000 करोड़ रुपये बैठती है। ऐसे में हड़ताल से यदि 30 से 40 प्रतिशत दैनिक कारोबार का नुकसान होता है तो दो दिन की हड़ताल से कुल मिलाकर 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये जीडीपी का नुकसान होगा।
धूत ने कहा कि हड़ताल में सभी पांच प्रमुख ट्रेड यूनियनों के शामिल होने की स्थिति को देखते हुये बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, पर्यटन और परिवहन क्षेत्र पर ही सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है। हड़ताल का पश्चिम बंगाल, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश पर ज्यादा असर पड़ने की आशंका है।
बैंकों में चेक क्लीयरेंस तथा वित्तीय बाजार के कुछ हिस्सों पर इसका ज्यादा असर पड़ने की संभावना है। देश के प्रमुख शहरों में रेलवे और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के गड़बड़ाने से कर्मचारियों की आवाजाही भी प्रभावित होगी। बंदरगाहों पर भी माल का उतार चढ़ाव धीमा होगा।
एसोचैम अध्यक्ष ने प्रस्तावित हड़ताल पर चिंता जताते हुये कहा कि देश के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम बंद करना अर्थव्यवस्था के हित में नहीं होगा। उन्होंने कहा ‘‘बढ़ती मूल्य वृद्धि को लेकर हम भी चिंतित हैं लेकिन इसका समाधान मिल जुलकर काम करने से ही होगा। अर्थव्यवस्था में आपूर्ति बढ़ाकर और उत्पादन वृद्धि से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है। हड़ताल से इसके विपरीत आपूर्ति बाधित होगी और दाम बढ़ेंगे।’’ धूत ने केन्द्रीय श्रमिक संगठनों सीटू, एटक, इंटक और भारतीय मजदूर संघ से अपील करते हुये कहा है कि सरकार के साथ बातचीत कर समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करें। एसोचैम अध्यक्ष ने सरकार से भी अपील की है कि वह तुरंत श्रमिक संगठनों के साथ बातचीत कर उनकी मांगों को समाधान करने की कोशिश करे। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 19, 2013, 21:04