Last Updated: Tuesday, August 27, 2013, 19:12

नई दिल्ली : रुपए की विनिमय दर में अभूतपूर्व गिरावट के बीच वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि वर्ष 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के प्रभावों से निपटने के लिए देश में उठाए गए कदम भी रुपए के मूल्य ह्रास के लिए जिम्मेदार हैं। चिदंबरम ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि रुपया अपनी वास्तविक दर से नीचे चल गया है। पर उन्होंने विश्वास जताया कि रुपया अपने उचित स्तर को पुन: प्राप्त कर लेगा।
उन्होंने सदस्यों के पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा, ‘हम मानते हैं कि केवल बाहरी कारण ही नहीं बल्कि घरेलू कारण भी हैं। इनमें से एक कारण यह है कि हमने राजकोषीय घाटे को सीमा तोड़ने दिया और चालू खाते का घाटा भी बढने दिया गया। ऐसा 2009 और 2011 के दौरान किए गए कुछ फैसलों के कारण हुआ।’
चिदंबरम के अनुसार, यह वह अवधि थी जब सरकार ने पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के लड़खड़ाने से उत्पन्न वैश्विक परिस्थितियों के असर से घरेलू अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कुछ राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा की थी।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘इससे अर्थव्यवस्था स्थिर हुई और वृद्धि दर में सुधार हुआ। हम वर्ष 2008 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाने के बहुत गंभीर प्रतिकूल प्रभावों से बच गए। लेकिन इसका नतीजा हमारे सामने राजकोषीय घाटे और चालू वित्त घाटे के रूप में आया।’उन्होंने कंवरदीप सिंह के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि सरकार ने राजकोषीय घाटे पर अंकुश के लिए कदम उठाए हैं और देश राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की ओर बढ रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि अगस्त 2012 से मई 2013 के बीच विनिमय दर स्थिर थी लेकिन 22 मई के बाद से रूपया दबाव में है। उन्होंने कहा, ‘राजकोषीय प्रोत्साहन से वृद्धि दर्ज हुई, अर्थव्यवस्था में स्थिरता आई और हमने 2008 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के डूबने के गंभीर परिणाम को टाल दिया। लेकिन यह राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे पर भारी पड़ा।’
मंत्री ने कहा कि सरकार ने राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने के लिए पहल की थी और देश अब राजकोशीय पुनर्गठन के मार्ग पर है। उन्होंने कहा कि अगस्त 2012 से मई 2013 के बीच विनिमय दर उल्लेखनीय रूप से स्थिर थी लेकिन रुपया 22 मई से दबाव में है।
उन्होंने निकट भविष्य में रुपए के रझान के बारे में कोई आकलन करने से इनकार करते हुए कहा, ‘हर उभरती अर्थव्यवस्थाओं की सभी मुद्रा पर दबाव है। फिलहाल हमारा मानना है कि रुपए अपने वास्ताविक स्तर से बहुत नीचे है।’
निवेश संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीआई) द्वारा 1.83 लाख करोड़ रुपए की 27 परियोजनाओं को मंजूरी देने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे भरोसा है कि जब निवेश चक्र रफ्तार पकड़ेगा, विनिर्माण में तेजी आएगी तो इसका अर्थव्यवस्था और विशेष तौर पर चालू खाते के घाटे पर सकारात्मक असर होगा।’
अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति, पहली तिमाही में धीमी निर्यात वृद्धि और सोने का आयात चुनौती है। साल की शुरुआत से लेकर अब तक रपया 16 प्रतिशत गिर चुका है जबकि बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स पिछले एक महीने में करीब आठ प्रतिशत या 1,500 अंक से अधिक गिर चुका है। चिदंबरम ने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक के लागू होने पर सब्सिडी का अतिरिक्त प्रावधान करने के बाद भी राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पादा के 4.8 प्रतिशत तक सीमित रखा जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा ‘ बजट में अनुमानित 4.8 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा राशि लक्ष्मण रेखा है और इस लक्ष्मण रेखा को नहीं लांघा जाएगा। हमने चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि के लिए खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम हेतु पर्याप्त राशि मुहैया करा दी है।’ उन्होंने कहा ‘राज्यों में इस पर अमल शुरू होने के बाद धन मुहैया कराया जाएगा। हमारा मानना है कि खाद्य विधेयक के लिए धन मुहैया कराने के बाद भी हम बजट दस्तावेज में अपने लिए तय सीमा के दायरे में बने रहेंगे।’
चालू वित्त वर्ष में खाद्य सब्सिडी के लिए 90,000 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। जिसमें से 10,000 करोड़ रपए खाद्य सुरक्षा विधेयक लागू करने के लिए रखा गया है।
विधेयक के प्रावधानों के तहत चिह्नित गरीब परिवारों को हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो चावल, गेहूं या मोटा अनाज क्रमश: तीन, दो, एक रुपए के मूल्य पर उपलब्ध कराने की कानूनी गारंटी का प्रावधान है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 27, 2013, 19:12