Last Updated: Monday, January 9, 2012, 11:49
भोपाल: राज्यों के वित्तमंत्रियों की अधिकारसंपन्न समिति में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर इस बात पर सिद्धांतत: सहमति है कि वस्तुओं की ‘नकारात्मक सूची’ केंद्र सरकार तैयार करे ताकि संविधान की अनुसूची दो के तहत जिन वस्तुओं पर केवल राज्यों को कराधान का अधिकार है, उन पर केन्द्र कर नहीं लगा सके।
समिति की दो दिवसीय बैठक सोमवार को शुरू हुई। पहले दिन की चर्चा के बाद समिति अध्यक्ष एवं बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने संवाददाताओं को बताया कि हमने सिद्धांत रूप में यह मंजूर किया है कि केन्द्र को ‘नकारात्मक सूची’ बनानी चाहिए और वह चाहे तो इसे एक अप्रैल 2012 से लागू कर सकता है।
एक सवाल के उत्तर में उन्होंने स्वीकार किया कि नकारात्मक सूची लागू होने के बाद सेवा कर के दायरे में आने वाली वर्तमान 120 वस्तुओं की संख्या काफी बढ़ जाएगी, लेकिन इससे राज्यों का राजस्व ही बढ़ेगा। उन्होने कहा कि सेवाओं की परिभाषा को लेकर भी हमने केन्द्र सरकार को सुझाव दिया है कि वस्तुओं, धन और अचल संपत्ति को छोड़कर सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियों को सेवा माना जाना चाहिए।
मोदी ने कहा कि सेवा कर को लेकर केन्द्र और राज्यों के बीच कई मुद्दों पर विवाद है और जीएसटी को लेकर तो मध्यप्रदेश, तमिलनाडू, उत्तरप्रदेश एवं गुजरात राज्यों की असहमति का दायरा सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि नकारात्मक सूची लागू होने से जिन वस्तुओं पर राज्यों में वैट एवं केन्द्र के सेवा कर के रूप में दोहरा करारोपण है, उससे लोगों को निजात मिलेगी।
उन्होंने कहा कि संविधान की अनुसूची दो में जिन वस्तुओं पर केवल राज्यों को कर लगाने का अधिकार है, उनमें से कुछ पर केन्द्र द्वारा सेवा कर लगाने से दोनों के बीच विवाद अनेक वषरे से बना हुआ है। नकारात्मक सूची लागू होने से इस विवाद का पटाक्षेप हो जाएगा, क्योंकि इसमें शामिल वस्तुओं पर फिर केन्द्र सरकार कर नहीं लगा सकेगी।
(एजेंसी)
First Published: Monday, January 9, 2012, 17:22