Last Updated: Monday, April 8, 2013, 16:25

नई दिल्ली : विदेशी निवेशकों के लिए नियमों को स्पष्ट बनाने की वकालत करते हुए प्रवासी भारतीय उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल ने कहा कि भारत को हर क्षेत्र में विदेशी भागीदारी की स्वीकृत सीमा को केवल स्पष्ट भर कर देना चाहिए और कंपनियों को उनके अनुसार निवेश की छूट देनी चाहिए। इसमें मंजूरी प्रक्रिया की जरूरत नहीं रखी जानी चाहिए।
मौजूदा आर्थिक स्थिति को ‘रास्ते का सुधार’ और एक अस्थायी दौर करार देते हुए उन्होंने कहा कि भारत की तीव्र आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत है कि देश के बेहद प्रतिस्पर्धी मानव संसाधन की उर्जा को सही दिशा दी जाए। पॉल ने प्रेट्र के साथ विशेष बातचीत में कहा, ‘‘मेरा मानना है कि सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए जिसमें यह साफ कहा गया हो कि अमुक उद्योग में इस तरह के निवेश की अनुमति है, अमुक उद्योग में इसकी अनुमति नहीं है। फिर किसी को मंजूरी के लिए आवेदन करने की जरूरत न हो।’’
निवेशकों के व्यक्तिगत प्रस्तावों को मंजूरी की औपचारिकता के चक्कर से मुक्त रखे जाने पर जोर देते हुए स्वराज पॉल ने कहा, ‘‘यदि वे (प्रस्ताव) कानून के दायरे में हैं तो उनका स्वागत हो और यदि वे कुछ गलत कर रहे हों तो तो उन्हें दंड दिया जाएगा। यह एक खुली नीति होनी चाहिए। कार्रवाई की जाए, पर भेदभाव न हो। कार्रवाई कानून के दायरे में हो। पर कानून ऐसे बनाए जाने चाहिए जो पूरी तरह से पारदर्शी और खुले हों।’’ ब्रिटेन के 10,000 करोड़ रुपये के कपारो उद्योग समूह के प्रमुख पॉल ने कहा, ‘‘निवेशकों से कहा जाए कि यदि आप कानून का पालन करते हैं तो हमें कोई चिंता नहीं है। लेकिन यदि आप नियम से नहीं चलेंगे, तो हम आप को सूली पर टांग देंगे। इससे विदेशी कंपनियों को निवेश से जुड़े फैसले मौजूदा कानून के तहत करने में मदद मिलेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक निवेश का सवाल है तो भारत की संभावनाओं का प्रचार करना सरकार का काम है, लेकिन निवेशक सिर्फ इससे ही नहीं आते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘निवेशक तभी आते हैं जबकि कंपनी को संभावना दिखती है और वे उन्हीं देशों में जाना चाहते हैं जहां वे सुरक्षित महसूस करते हैं और वृद्धि की संभावना दिखती है।’’ कपारो समूह के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘भारत और चीन दो ऐसे देश हैं जो विश्व अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करेंगे। चीन सरकार के पास अपने काम पर ज्यादा अच्छा नियंत्रण है पर हमारे पास सरकार और विपक्ष दोनों में बहुत अच्छे लोग हैं।’’ पॉल ने कहा कि भारत विश्व के सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रिक देशों में शामिल है और देश के राजनीतिक नेता किसी देश से कम नहीं है।
उन्होंने कहा ‘‘दुनिया में किसी को भी हमारे देश की जनता की क्षमता को कम करके नहीं आंकनी चाहिए। हमारे पास सरकार में मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम जैसे नेता हैं। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों में भी अच्छे लोगों की कमी नहीं है। उनमें अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और नरेंद्र मोदी जैसे लोग हैं।’’ पॉल ने कहा ‘‘हमारे पास नीतीश कुमार हैं और ये सब के सब विश्व के किसी भी देश के योग्य से योग्य नेता के बाराबर योग्यता रखते हैं।’’ उन्होंने कहा ‘‘सारे हो-हल्ले के बावजूद भारत की संसद में होने वाली बहस का स्तर भी किसी भी देश की अच्छी बहस के टक्कर का है। इस पर हमें फख्र है। मैं भारतीय लोकतंत्र को विश्व की शीर्ष लोकतंत्रिक व्यवस्थाओं में गिनता हूं, इसमें कोई दो राय नहीं है।’’ उन्होंने कहा ‘‘हालांकि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम सब पूरे देश के बारे में समग्रता से सोचना शुरू करें न कि अपने बारे में। मेरा मानना है कि देर सवेर इस जैसे किसी छोटे संकट में हम इसी तरह लगेंगे।’’ उन्होंने कहा ‘‘समस्या सिर्फ कुछ लोगों से नहीं सुलझेगी। पूरे देश को इस काम में लगाना होगा। जरूरत है गरीबी, भ्रष्टाचार, महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा से जुड़ी चुनौतियों से निपटने की। ’’ पॉल ने कहा ‘‘जहां तक भ्रष्टाचार की बात है तो सिर्फ रिश्वत लेने वाले ही नहीं बल्कि देने वाले भी बड़ी समस्या हैं।’’ (एजेंसी)
First Published: Monday, April 8, 2013, 16:25