Last Updated: Friday, May 10, 2013, 23:36
मसूरी (उत्तराखंड) : अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को जल्द अमल में लाने पर जोर देते हुये राज्यों के वित्त मंत्रियों ने जीएसटी से बाहर रखे जाने वाली वस्तुओं एंव सेवाओं की एक ही साझा सूची रखे जाने की वकालत की है।
राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की शुक्रवार को यहां शुरू हुई दो दिवसीय बैठक के बाद अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी ने संवाददाताओं को बताया ‘अभी स्थिति यह है कि राज्यों की छूट प्राप्त सूची में 96 वस्तुएं हैं जबकि केंद्र की सूची में इनकी संख्या 243 हैं। समिति इस मुददे पर एकमत है कि राज्यों की सूची में शामिल 96 में से 12 वस्तुओं अथवा सेवाओं, जिनपर केंद्र सरकार कर लगाती है, उन्हें केंद्रीय कर से मुक्त रखा जाना चाहिये।’
राज्यों ने केंद्र से कहा कि वह अपनी कर छूट वाली वस्तुओं की सूची को चरणबद्ध तरीके से छोटा करे जिससे की उसकी सूची भी राज्यों की करमुक्त वस्तुओं की सूची के बराबर आ सके।
इस संबंध में मोदी ने कहा कि समिति इस बात पर भी एकराय है कि राज्यों और केंद्र की ‘छूट प्राप्त’ सूची में कोई दोहराव नहीं होना चाहिये।
उन्होंने बताया कि समिति ने छोटे व्यापारियों के मामले में कारोबार सीमा बढ़ाने का भी निर्णय किया है, हांलाकि इसे कितना बढ़ाना है, इसके बारे में फैसला लिया जाना बाकी है।
जीएसटी के तहत पंजीकरण से छोटे व्यापारियों को मुक्त रखे जाने के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि समिति ने इस मामले में कारोबार सीमा 25 लाख रूपये किये जाने की सिफारिश की है लेकिन उत्तराखंड और उत्तरपूर्वी राज्यों के छोटे व्यापारी इस आधार पर इसका विरोध कर रहे हैं कि इससे उनके हित प्रभावित होंगे।
उन्होंने कहा कि इस बारे में आमसहमति अभी होनी बाकी है। कई राज्य इसका अध्ययन कर रहे हैं, उसके बाद ही इस बारे में फैसला लिया जायेगा।
उन्होंने बताया कि समिति ने यह भी सिफारिश की है कि 1.5 करोड़ रूपये से कम वाषिर्क कारोबार वाले छोटे व्यापारियों को जीएसटी के मामले में दोहरे नियंत्रण से मुक्त रखा जाये इससे उनका कर बोझ बढ़ेगा। डेढ करोड़ रपये सालाना कारोबार करने वाले व्यापारियों को ही केंद्र और राज्यों की कराधान एजेंसियों के दायरे में लाया जाना चाहिये।
यह पूछे जाने पर कि जीएसटी प्रणाली कब तक लागू हो जायेगी, मोदी ने कहा कि यह केंद्र सरकार पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा, ‘हम जीएसटी से संबंधित 85 से 90 प्रतिशत तक मसले सुलझा चुके हैं लेकिन जब तक संसद की स्थायी समिति संबंधित विधेयक को नहीं निपटाती, तब तक जीएसटी एक दूरगामी लक्ष्य ही रहेगा।’ इस संबंध में एक समयसीमा बताये जाने का संवाददाताओं द्वारा जोर दिये जाने पर मोदी ने कहा, ‘हम यही कर सकते हैं कि जल्दी से जल्दी अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दे दें लेकिन उन पर अमल तो केंद्र को ही करना है और संभावित लोकसभा चुनावों को देखते हुए इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Friday, May 10, 2013, 23:36