Last Updated: Wednesday, August 21, 2013, 23:27

नई दिल्ली : चक्का फेंक एथलीट कृष्णा पूनिया ने आज उन आरोपों को खारिज किया कि उन्होंने प्रतिष्ठित खेल रत्न पुरस्कार के लिये लाबी की थी, उन्होंने कहा कि वह सिर्फ उनके खिलाफ हुए ‘अन्याय’ के खिलाफ अपनी आवाज उठा रही थीं।
पूनिया ने कहा, मैं साफ करना चाहती हूं कि मैं कोई भी लॉबिंग नहीं कर रही थी। मेरे साथ अन्याय हुआ है और मैं सिर्फ उसी के खिलाफ अपनी आवाज उठा रही थी। इसे लॉबिंग नहीं कहा जा सकता। यह गलत है। खेल रत्न चयन पैनल की सदस्य और शीर्ष निशानेबाज अंजलि भागवत के खुलासे के बाद इस एथलीट ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। भागवत ने खुलासा किया था कि पूनिया ने समिति की बैठक से एक दिन पहले उन्हें फोन कर इस सम्मान के लिये लॉबिंग की थी।
पूनिया ने कहा, पहले तो मैं यह कहना चाहती हूं कि अगर मुझे लाबिंग करनी ही होती तो खेल मंत्री राजस्थान से हैं और मैं भी। अगर मुझे लॉबिंग ही करनी होती तो मैं सूची घोषित होने से पहले ही यह कर चुकी होती। उन्होंने कहा, मुझे अपने प्रदर्शन पर भरोसा है और मुझे किसी तरह की लॉबिंग करने की जरूरत नहीं है। 2003 में जब के एम बीनामोल और अंजलि भागवत को खेल रत्न मिला था तो क्या भागवत ने लाबिंग की थी? पूनिया ने यह भी कहा कि वह पुरस्कार का राजनीतिकरण नहीं कर रही थी। उन्होंने कहा, मैं पुरस्कार का राजनीतिकरण नहीं कर रही हूं। जैसा कि मैंने पहले कहा था, अगर मुझे राजनीतिकरण करना होता तो मैं सूची के घोषित होने से पहले ही कर सकती थी।
विश्व चैम्पियन निशानेबाज रंजन सोढ़ी के नाम की सिफारिश पिछले हफ्ते खेल रत्न पुरस्कार के लिये की गयी थी, जिससे विवाद खड़ा हो गया था क्योंकि पैनल के कुछ सदस्यों ने उनके चयन की प्रक्रिया पर सवाल उठाये थे। पता चला था कि सोढ़ी का नाम इसमें शामिल नहीं था। पूनिया ने गुस्से में पूछा, वोटिंग मेरे और लंदन परालंपिक के रजत पदकधारी एच एन गिरीशा के बीच थी, सोढ़ी के साथ नहीं। मेरे पक्ष में 8-3 वोट थे। और एक घंटे के बाद ही आपको अगर दोबारा वोटिंग करनी पड़े तो इसका क्या मतलब है? आपके जीतने के बाद, पुरस्कार आपसे छीन लिया जाता है। क्या यह लॉबिंग है? मंत्रालय ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि पुरस्कार प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों की मूल सूची में कोई बदलाव नहीं होगा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 21, 2013, 23:27