घोटालों के बीच यूपीए-2 का रिपोर्ट कार्ड

घोटालों के बीच यूपीए-2 का रिपोर्ट कार्ड

घोटालों के बीच यूपीए-2 का रिपोर्ट कार्डरामानुज सिंह
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 22 मई को यूपीए-2 सरकार के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि देश की अथर्व्यवस्था पटरी पर लौट आई है। गरीबों की हालात, कृषि विकास दर पहले से कई गुना बेहतर हुए हैं। उन्होंने दावा है कि सरकार महंगाई पर काबू पाने में बहुत हद तक सफल रही है और मंदी के दौर में भी सरकार ने बेहतर काम किया। लेकिन प्रधानमंत्री ने इस रिपोर्ट कार्ड में अपने शासनकाल में हुए घोटालों का जिक्र करना मुनासिब नहीं समझा। जबकि हालात ये है यूपीए-2 के कार्यकाल में समय-समय पर हुए घोटालों ने सरकार को कटघरे लाकर खड़ा कर दिया है। इस हालत में कांग्रेस और सरकार में शामिल घटक दलों को जश्न मानने पर शर्म आनी चाहिए थी।

कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन 2009 में लगातार दूसरी बार सत्ता में आई जिसे यूपीए-2 के नाम से जाना जाता है। इस यूपीए-2 सरकार की भी कमान ईमानदार व्यक्ति मनमोहन सिंह को ही सौंपी गई। लेकिन इस ईमानदार प्रधानमंत्री का कार्यकाल घोटालों से भरा रहा। कॉमनवेल्थ गेम्स घोटालों से लेकर 2जी स्पेक्ट्रम, कोलगेट और रेलगेट जैसे कई घोटाले हुए जिससे इस देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर से लोगों का भरोसा उठ गया है।

2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन की तैयारी के दौरान धांधली पाई गई। इसमें करीब 70 हजार करोड़ रुपए के घोटाले की बात सामने आई। मनमाने तरीके से ऊंचे दामों पर सामान खरीदा गया। कई ऐसी कंपनियों को भुगतान किया गया, जो अस्तित्व में थीं ही नहीं। इस घोटाले से पूरी दुनिया में भारत की बदनामी हुई। मामले के तूल पकड़ने पर कांग्रेसी नेता और कॉमनवेल्थ गेम्स अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

मनमोहन सिंह सरकार ने दूरसंचार मंत्री ए. राजा के मनमाने रवैये के चलते 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से देश को 1.76 लाख करोड़ रुपए का चूना लगा। बेचे गए 122 लाइसेंस में से 85 लाइसेंस उन कंपनियों को दिए गए जो पात्रता की जरूरी शर्ते भी नहीं पूरी करती थीं। इस मामले में ए. राजा को इस्तीफा देना और 15 महीने जेल में बिताने पड़े। इस मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका पर भी संदेह किया जा रहा है।

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से अरबों-खरबों का कोयला घोटाला सामने आया। रिपोर्ट में कहा गया कि 2004 से 2009 के दौरान कंपनियों को 155 कोल ब्लॉकों का आवंटन बिना नीलामी के ही कर दिया गया। इससे कंपनियों को कई लाख करोड़ रुपयों का फायदा हुआ। इस मामले में कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल के साथ-साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी उंगलियां उठ रही हैं। इसी मामले को लेकर कानून मंत्री अश्वनी कुमार तक को इस्तीफा देना पड़ा।

वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों के लिए भारत ने इटली के फिनमैकानिका कंपनी के साथ फरवरी 2010 में सौदा किया था। इस सौदे के तहत भारत को 12 अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मिलने थे। फिनमैकानिका कंपनी के साथ यह सौदा करीब 4000 करोड़ रुपए में किया गया था। हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल सरकार के वीवीआईपी लोगों के लिए होना था। सौदे के तहत तीन हेलीकॉप्टर भारत को मिल चुके थे। लेकिन इसी बीच घोटाले का खुलासा हो गया। इसकी सीबीआई जांच चल रही है।

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के केंद्र सरकार से अलग होने के बाद रेल मंत्री मुकुल रॉय को रेल मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उसके बाद मनमोहन सरकार ने पवन बंसल को रेल मंत्री बनाया। फिर क्या था। रेलवे में ऊंचे ओहदे के लिए बोली लगनी शुरू हो गई। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के पद के लिए करोड़ों रुपए घूस मांगे गए। इसी सिलसिले में 90 लाख रुपए घूस दिए जाने के दौरान रेल मंत्री पवन बंसल के भांजे विजय सिंगला को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद विपक्ष के दबाव पर रेलमंत्री पवन बंसल को इस्तीफा देना पड़ा।

इतने सारे घोटालों के बीच कांग्रेस और यूपीए-2 के सहयोगी दलों को सरकार की उपलब्धियों पर जश्न मनाने का हक नहीं है। क्योंकि जिस तरह से जनता के धन को लूटा गया वह गैरमुनासिब है। एक तरफ सरकार कह रही है कि खाद्य सब्सिडी तीन गुना बढ़ा पर रसोई गैस पर से सब्सिडी हटाई जा रही है। मनरेगा को सरकार की बड़ी कामयाबी बताया गया जबकि मनरेगा में करीब 10 हजार करोड़ के घोटाले की बात सामने आई है।

पीएम ने कहा कि गरीबों को सस्ता अनाज मिलेगा जबकि दिन-प्रतिदिन जरूरत की चीजों के दाम बढ़ रहे है। महंगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता को एक ऐसी सरकार की तलाश है। जो लोकतंत्र को बचाने के साथ-साथ उसके हितों की रक्षा करे। दूसरी ओर सरकार अपने कार्यकाल को बेहतर बताते हुए अगले साल होने वाले आम चुनाव में जनता को लुभाने के लिए कई वादे कर चुकी है। अब गेंद जनता के पाले में है कि यूपीए-2 को फिर से मौका देना है या किसी और को।

First Published: Thursday, May 23, 2013, 20:48

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