`मुलायम को संतों का सम्मान करना चाहिए`बीजेपी सांसद और वरिष्ठ नेता
विनय कटियार के साथ ज़ी रीजनल चैनल्स के संपादक
वासिंद्र मिश्र ने `सियासत की बात` कार्यक्रम में खास बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:-
आज हमारे साथ हैं खास मेहमान और बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष विनय कटियार जी। विनय जी भारतीय जनता पार्टी के सांसद है और उत्तर प्रदेश सहित देश में जो राममंदिर के निर्माण को लेकर जिस आंदोलन की शुरुआत हुई थी उसके प्रमुख कर्ताधर्ता में से एक हैं। आज एक बार फिर राममंदिर चर्चा में है, राम मंदिर को लेकर आंदोलन चर्चा में है और उत्तर प्रदेश और देश के साधु संत यूपी सहित देश के अलग अलग राज्यों में इस समय आंदोलनरत हैं। राममंदिर से जुडे़ हुए पुराने सवालों से लेकर आज के परिप्रेक्ष्य में आंदोलन कहां तक पहुंचा, आंदोलनकर्ताओं में क्या खामियां रही, किस वजह से जो लक्ष्य था उसे पूरा करने में आंदोलन कारियों को सफलता नहीं मिली इन्हीं सब मसलों पर इनकी राय जानने की कोशिश करेंगे।
वासिंद्र मिश्र : यूपी और देश में राममंदिर के निर्माण को लेकर जो लड़ाई शुरू की गई थी, उसके आप संस्थापकों में एक थे या कह सकते हैं कि कार्यकर्ताओं में एक थे इस बार जो आंदोलन देखने को मिला है अयोध्या से लेकर जंतर मंतर तक उसमें आपकी गैरमौजूदगी का कारण क्या है?
विनय कटियार: नहीं कोई गैरमौजूदगी का कारण नहीं है। कल हमको लखनऊ में रोक कर रखा गया था लेकिन कोई भी आंदोलन हो उसमें मेरी पूर्ण सहमित है और सक्रिय भूमिका भी। हम निभाने की कोशिश करते हैं लेकिन वर्तमान समय में रोल अलग अलग है तय करने वाले लोग दूसरे हैं। वो तय की गई भूमिका में हम नहीं हैं कि क्या तय करना है कार्यक्रम तय वो लोग करते हैं फिर देखते हैं कि उसमें क्या हो सकता है।
वासिंद्र मिश्र : तो सबसे बदलाव तो यही है जो आप खुद मान रहे है कि एक वक्त था जब आप तय करने वालों में थे और आज आप दिशानिर्देश की प्रतीक्षा में हैं कि जो दिशानिर्देश मिलेगा उस तरह से आप काम कर रहे हैं, ये जो बदलाव दिखाई दे रहा है आंदोलन के स्वरूप में, आंदोलन के चलाने वालों के व्यवहार में, इसके पीछे कोई खास वजह?
विनय कटियार: नहीं कोई खास वजह नहीं बीजेपी में चूकि मैं विभिन्न पदों पर रहा। मैं प्रदेश का अध्यक्ष रहा, फिर राष्टीय महामंत्री रहा बीजेपी का...। फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहा आज भी प्रमुख किसी न किसी पद पर हूं तो वो चूंकि बीजेपी की तरफ से सक्रियता हमारी बढ़ गई है तो स्वभाविक है कि बाकि लोगों के लिए कार्यक्रम बनाए।
वासिंद्र मिश्र : कहीं ऐसा तो नहीं कि आज आंदोलन का कमान जिनके हाथ में है उनको लगता है कि अब आपको आगे करके उस तरह का राजनैतिक लाभ या उस तरह का कार्यकर्ताओं का जो मोबिलाइजेशन है वो नहीं हो पाएगा जितनी कि उनकी अपेक्षा है?
विनय कटियार : नहीं ऐसा नहीं है कार्यक्रम भी तय करने में दिशा बदल गई है परिस्थितियां बदल गई है, दोनों प्रकार की चीजें हो गई है एक अयोध्या में ढांचा था, गुलामी का ढांचा था वो ढांचा 6 दिसंबर 1992 को चला गया जो कुछ है अब वहां पर राम की जन्म भूमि है। वही भव्य और दिव्य बने उसी के लिए कोशिशें करना है और सबसे बड़ी एक सफलता हमको मिल गई कि अदालत ने हाईकोर्ट ने बता दिया कि जो ढांचा है उसके नीचे जो सारा कुछ मिला है वो सब राम की जन्म भूमि का है वो राम को प्रमाणित करता है और मैं ये सोचता हूं कि जब आंदोलन चल रहा था उस समय मुस्लिम वर्ग के लोग भी कह रहे थे कि अगर ये प्रमाणित हो जाए कि ये राम की जन्म भूमि रही है तो मैं दावा छोड़ दूंगा। बड़े-बड़े अन्य राजनैतिक दलों के नेता भी यही कहते थे कि अगर ये मालूम हो जाये कि नहीं ये राम की जन्म भूमि है तो हम बातचीत करके इसके स्थान पर मंदिर का निर्माण करेंगे। कोर्ट के माध्यम से दो बातें सिद्ध हो गईं।
वासिंद्र मिश्र : अब जो आप के राजनीतिकार है नीतिकार है उनकी सोच में भी बदलाव आया है उनको लगता है कि उस एग्रेसन उस प्रतिबद्धता, उस कर्मठता की जरूरत नहीं है इसलिए आपको अलग रखा जा रहा है इसलिए आपको अलग रखा जा रहा है इस पूरे निर्धारण प्रक्रिया में?
विनय कटियार : नहीं ऐसा नहीं है ऐसा कुछ नहीं है जहां इसकी जरूरत है वो हम सब आपस में सहयोगी है एक दूसरे के और वो काम बंद नहीं होगा इसलिए आप उसकी चिंता मत करिए हमलोग जहां है वहां बिलकुल सक्रियता के साथ हैं।
वासिंद्र मिश्र : विनय जी उन आंदोलन के हमलोग गवाह रहे हैं चश्मदीद रहे हैं। जिस तरह से आपने आपके लाखों सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उस आंदोलन को अंजाम दिया और एक लक्ष्य हासिल की जो उस समय का टारगेट था, आज जो आंदोलन हुआ है जबकि मीडिया उस जमाने में इतनी नहीं थी जितनी की आज...। जो काम आपको उस समय एक कार्यकर्ताओं से संपर्क करके करना पड़ता था उस संदेश को उस सूचना को मीडिया के जरिए आप बहुत आसानी से पहुंचा पा रहे हैं, बावजूद इसके जो रिस्पांस उस दौर में देखने को मिला था आंदोलन का कार्यकर्ताओं का वो रिस्पॉस इस बार क्यों नहीं देखने को मिला?
विनय कटियार : नहीं पूरा रिस्पॉन्स देखने को मिला> मीडिया के माध्यम से भी मिला मौके से भी मिला क्योंकि आप 84 कोस परिक्रमा की चर्चा कर रहे हैं मुझे लगता है कि संकेत आपका उधर है तो मैं ऐसा मानता हूं कि कार्यक्रम केवल संतों का था वो सब लोगों का कार्यक्रम नहीं था और संतों ने कुंभ में ही तय कर लिया था कि 84 कोस की परिक्रमा करनी है प्रतिदिन लगभग 200 संत आएंगे और ऐसा वो 20 दिन की यात्रा थी और 20 दिन में रोज क्रम बदल जाएगा और 200 साधु बदल जाएंगे दूसरे साधु आएंगे तीसरे साधु आएंगे ऐसा रोज देश भर से संतों को आना था वो आ भी रहे है अभी वो अभी जारी है, अभी बंद नहीं हुआ है और यात्रा अभी जारी हो गई है जो कहते हैं कि अयोध्या के अंदर पूजन नहीं हुआ लेकिन जहां मखौड़ा है, मखौड़ा से पूरा पूजन भी हुआ 400 लोगों ने गिरफ्तारी दी जब वो 4 किलोमीटर आगे बढ़ गये पहले चलते हुए चले गए तो उन्हें लगा ये क्या हो रहा है क्योंकि मीडिया को भी नहीं लगा कि वो साइट पर पहुंच पाएंगे और यात्रा शास्त्रों में जहां से शुरू की जाती है वहीं समाप्त होती है।
वासिंद्र मिश्र: हम तकनीकी बात नहीं कर रहे हैं, हम आप से जानना चाहते हैं कि जिस तरह का रिस्पांस देखने को मिलता था इस बार देखने को नहीं मिला दूसरा ये जानकारी आ रही है वहां से आप को ज्यादा पक्की जानकारी होगी जो हम लोगों को जानकारी आ रही है। अयोध्या, फैजाबाद से इस बार के आंदोलन में मुट्ठी भर साधुओं को छोड़कर आप के अयोध्या में हजारों की तादाद में साधु संत रहते हैं। आप वहां से सांसद भी रहे हैं, इस बार अयोध्या के साघु संतों ने साथ नहीं दिया आप के वीएचपी के आंदोलन को?
विनय कटियार : मैं ऐसा नहीं मानता हूं पूरे गलियों में साधु-संतों ने छका दिया खासकर नौजवान साधु था उसने बड़ा काम किया है। नए साधु सब खड़े हुए हैं ऐसा नहीं उन्होंने पूरा काम किया है प्रवीण तोगडिया वहां पर पहुंचे रहे इतना खोजते रहे नहीं मिले विश्व हिन्दू परिषद के तमाम कार्यकर्ता पहुंच गए, साधु तमाम पहुंच गए और वो सारे के सारे लोग विभिन्न घाटों पर मौजूद रहे जहां पुलिस देखते थी यहां पर साधु हैं पकड़ने जाती थी तब तक दूसरी सूचना आ जाती थी कि दूसरे घाट पर साधु आ गए तो ये क्रम जारी है।
वासिंद्र मिश्र : आंदोलन को चलाने के लिए तरूणाई की जरूरत और आप के जो नीति निधार्रक हैं, उनकी नजर में आप नौजवान नहीं रहे इसलिए आप को पीछे रखने की कोशिश की जा रही है?
विनय कटियार : ऐसा कुछ नहीं है चूंकि हमारी बीजेपी में सक्रिय भूमिका हो गई इस कारण से ये बात है।
वासिंद्र मिश्र : आंदोलन का स्वरूप बदल रहा है, आंदोलन का चेहरा बदल गया है आंदोलन का नीति निधार्रक है उनका सोच बदल गया है। एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े जितने फ्रंटल आर्गेनाइजेशन हैं उन पर आरोप लग रहा है। जब चुनाव नजदीक आता है तब आप लोगों को रामलला याद आती है और जब सत्ता मिल जाती है, तब रामलला पीछे चले जाते हैं?
विनय कटियार : ये आरोप गलत है, अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे तब भी हमने शिलादान का कार्यक्रम रखा था और उस समय विरोध भी हुआ था लेकिन हमने पूरा जोर लगाकर शिला दान किया था और शिलादान का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ एक ग्रुप चाहता था कि शिलादान न हो।
वासिंद्र मिश्र : विनय जी कुछ और explain कर दीजिए कि इसका विरोध सबसे ज्यादा अटल जी और अटल जी की सरकार ने ही किया था आप लोगों के कार्यक्रम का?
विनय कटियार : ये बात ठीक है सरकार की मंशा दूसरी थी लेकिन हम लोग आंदोलनकारी नेता थे और जब शिलादान का कार्यक्रम तय था तो हम लोगों ने उसको किया और ये बात अलग है जो व्यवस्था करनी थी सरकार को उन्होंने अपनी व्यवस्था की हमको जो आंदोलन चलाना था हमने चलाया। कल्याण सिंह जी उत्तर प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे हमारी ही सरकार थी। ढांचा गया हमारी सरकार में ही गया पूरी सरकार चली गई चार-चार सरकारें चली गयी, हम 6 साल राज्य करके ये काम कर सकते थे लेकिन ये आंदोलन इस तरह का खड़ा था इस प्रकार के बहुतायत की संख्या में लोग आए थे, वो सहन नहीं हो रहा था। गुलामी का ढांचा लोगों को लगता था कि अब ये किसी भी कीमत पर नहीं रहना चाहिए।
वासिंद्र मिश्र : उस समय जो आंदोलन की कमान थी जो आंदोलन का तेवर था, वो सत्ता नहीं था और जो आज आंदोलन चल रहा है वो सत्ता है इसलिए DIPLOMACY दिखाई दे रही है?
विनय कटियार : मैं ऐसा नहीं मानता हूं कि सत्ता है और मैं कल्याण का वाक्य पूरा कर दूं कल्याण सिंह ने सत्ता नहीं देखी कल्याण सिंह चाहते तो उस समय गोलियां चलवा सकते थे। मुलायम सिंह की राह पर जा सकते थे लेकिन वो मुलायम सिंह की राह पर नहीं गये और उन्होंने किसी पर गोली नहीं चलाई और स्वंय से आकर कहा इसके लिए अफसर दोषी नहीं मैं खुद दोषी हूं। ऐसा कल्याण सिंह जी ने कहा और उसके कारण सरकार कुछ ही दिन रहकर चली गई जो था वो भाव आज भी है हम सत्ता के लिए आंदोलन नहीं चला रहे आखिर राम कब तक आपेक्षित रहेंगे वो कहां चले गये। मैं मुस्लिम संगठनों से आग्रह करना चाहता हूं कि जो चिल्ला चिल्ला के कहते थे कि यही रामलला की जन्म भूमि है तो ये कोर्ट ने कहा हमने तो नहीं कहा तीनों जजों ने कहा कोई उसमें से कोई हमारे जज नहीं थे उसमें से एक मुस्लमान जज भी थे जिनकी सहमति है तो ऐसी स्थिती में मुस्लिम के धार्मिक नेताओं को सामने आना चाहिए और कहना चाहिए कि अब रामजन्म भूमि बनना चाहिए और वो स्वयं आकर बनवाएं, हम उनका स्वागत करेंगे।
वासिंद्र मिश्र : आप ने एक प्रयास किया था अयोध्या से इसके बाद लखनऊ से भी मिले थे आप कुछ साधु-संतों से दोनों धर्मों के इसमें उनके धार्मिक गुरु भी थे और हिंदू समाज के भी लोग थे वो प्रयास रुक क्यों गया जो आपने शुरू किया था अब तो फैसला भी आ गया तब तो फैसला नहीं आया था?
विनय कटियार : मुझे लगता है कि नये सिरे से फिर पहल करने की जरूरत है और वो बात रुक गई हमने उस वक्त काफी प्रयास किया था और बाकी बहुत सारे लोग सहमत भी थे उस समय भी सहमत थे नहीं राम की जन्म भूमि पर राम का मंदिर बन जाये अब मेरा अभी भी कहना है कि बिना विलंब हुए राम की जन्म भूमि पर राम का मंदिर बन जाये।
वासिंद्र मिश्र : आप पीछे क्यों हट गये?
विनय कटियार : हम पीछे नहीं हट गये हम कहां पीछे हट गये, हम जहां है वहीं हैं।
वासिंद्र मिश्र : उस प्रयास को आपने क्यों रोक दिया?
विनय कटियार : किसी कारण से वो प्रयास रुक गया, उस प्रयास को सच में आगे बढ़ाना चाहिए था उसमें मेरी कमी रह गई कि मेरा प्रयास ढीला रह गया।
वासिंद्र मिश्र : एक बार चंद्रशेखर जी ने किया था देश के प्राइम मिनिस्टर थे, उसके पीछे पॉलिटिकल एंजेडा ज्यादा था SOLUTION कम था क्योंकि चार महीने की सरकार थी क्योंकि वो चुनाव में जा रहे थे लोकसभा भंग हो गयी थी। आप ने किया आप ने उस प्रयास को छोड़ दिया अब हाईकोर्ट का फैसला भी आ गया है आपको लगता है इसका क्या समाधान है?
विनय कटियार : अटल जी ने भी कर दिया था जैसे चंद्रशेखर जी के समय में समाधान करीब पहुंच गया था, उसी तरह अटल बिहारी जी के समय भी समाधान बहुत करीब पहुंच गया था और मैंने इसको डीटेल में कहीं लिख कर रखा भी है।
वासिंद्र मिश्र : अगला चुनाव का मतलब है कि दोबारा सत्ता में आने की जो उम्मीद थी?
विनय कटियार : हां, उम्मीद थी इसलिए कहा गया है कि जो काम पहले करना चाहिए था वो निपटा देना चाहिए।
वासिंद्र मिश्र : चंद्रशेखर जी के समय प्रयास हुए आप के समय भी प्रयास हुए। आप ने खुद प्रयास किया आप भी इस चीज को मानते है न कि इसका समाधान बातचीत से ही निकल सकता है?
विनय कटियार : देखिए, इसके तीन कारण हैं। सबसे उत्तम है बातचीत, दूसरा है अदालत के माध्यम से, तीसरा है संसद के अंदर कानून बनाकर।
वासिंद्र मिश्र : इसमें जो दो बाद के विकल्प है, संसद में कानून बनने की बात तब होगा जब भारतीय जनता पार्टी को दो तिहाई बहुमत मिलेगा?
विनय कटियार : मैं ऐसा मानता हूं कि जब एक बार सब कोई जागरूक हो जाए और सब के मन में बात आ जाए वार्ता भी आधी अधूरी हो जाए तो उसमें से भी कानून बनाने का रास्ता निकल सकता है।
वासिंद्र मिश्र : जब बातचीत से समाधान खोजना है तो ताकत के बल पर भीड़ जुटाकर उस ढांचा को गिराने की आवश्कयता क्या थी?
विनय कटियार : वो ढांचा गिरा, हम लोगों ने नहीं गिराया।
वासिंद्र मिश्र : जो 48 घंटे से हो रहा है अयोध्या और आसपास और आज जो जंतर मंतर पर हो रहा है ये शक्ति प्रदर्शन और ताकत का बल दिखाकर, आपको लगता है कि जो आपने बातचीत की प्रकिया शुरू की थी उसमें मददगार साबित होगी?
विनय कटियार : नहीं, नहीं देखिए जागरण का कार्यक्रम चलते रहना चाहिए। जनजागरण का कार्यक्रम रोक देंगे तो बातचीत की प्रकिया रुक जाएगी बाकी आगे की सारी प्रक्रिया रुक जाएगी। हमने इसलिए संतों का कार्यक्रम रखा था मुलायम सिंह जी चाहते थे कि 1990 की स्थिती बन जाये, वो चाहते थे कि फिर 30 अक्टूबर, 2 नवंबर की ऐसी स्थिती बने कि ताकि अयोध्या के अंदर गोली चले और बहुत सारे लोग मारे जाएं। ये उनकी कोशिश थी अभी भी उनकी ये कोशिश जारी है, लेकिन हम उस कोशिश को सफल नहीं होने देंगे।
वासिंद्र मिश्र : इसमें कितनी सच्चाई है कि आप दोनों में नूराकुश्ती चल रही है?
विनय कटियार : ये बेकार की बात है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है। मुलायम सिंह जी को चाहिए वो संतों के प्रति भक्ति भी रखते हैं, उन्हें उनका सम्मान करना चाहिए था सम्मान की जगह आप उनको जेल में डाल रहे हो, रामभद्राचार्य जी महाराज जो जगत गुरु हैं। कल जिस तरह से उनके साथ मिसविहेव किया गया, मिसहैंडलिग किया गया वो बड़ी दुखदायी घटना है। ये नहीं होना चाहिए था।
वासिंद्र मिश्र : विनय जी जब अक्टूबर, नवंबर में फायरिंग हुई थी उस समय कारसेवक आयोध्या में मारे गये थे फिर चुनाव हुआ जिसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला। मुलायम की संख्या 135-140 से घटकर 32 हो गई थी आपको लगता है जो कार्रवाई की गई है इसका राजनैतिक लाभ मुलायम सिंह को मिलेगा या भारतीय जनता पार्टी को?
विनय कटियार : मुलायम सिंह जी ये काम इसलिए करना चाहते हैं कि एक तो वोट मिले दूसरा संतों पर अपमान करना न करना एक अलग ही विषय है, लेकिन इसका घातक परिणाम उभर रहा है जो यूपी में जेलों में आतंकवादी बंद हैं उनको छोड़ना। उनको छोड़ने का काम किया जा रहा है ये तो आतंकवादियों को संरक्षण देने वाली सरकार हो गई है, साधुओं को जेल भर रहे हैं और आतंकवादियों को छोड़ रहे हैं, ये कैसा है ऐसे लोगों से नूराकुश्ती हो सकती है। ये बेकार की बात हुई।
वासिंद्र मिश्र : विनय जी आप एक किताब लिखने वाले थे, काफी आप के दिल में रहस्य छुपे हैं। नरसिम्हा राव और अटल जी के सरकार का अनुभव आप के पास रहा है इस राममंदिर को लेकर, राममंदिर के निर्माण को लेकर जो बाधाएं समय समय पर आई है, वो किस स्थिति पर है?
विनय कटियार : नहीं, उसका लगभग लेखन हो चुका है समय पर आयेगा तो उसका प्रिंट कराएंगे।
वासिंद्र मिश्र : आपका एक बार बयान आया था कि नरसिम्हा राव जी भी चाहते थे कि वहां पर मंदिर बने?
विनय कटियार : मेरी वार्ता जब नरसिम्हा राव जी से हुई थी तब बातचीत से लगा था कि वो मंदिर का निर्माण कराना चाहते थे। नरसिम्हा राव जी भी चाहते थे कि जो कुछ होना है वो हो जाये इसीलिए मैं बार बार कहता हूं कि मैनें अदालत को भी कहा है कि लिब्राहम कमीशन को भी मैनें कहा था कोई इसका जिम्मेदार बनता है। जो घटना 6 दिसंबर को घटित हुई उसका श्रेय जाता है उस ढांचे को गिराने में तो कांग्रेस को जाता है, नरसिम्हा राव को जाता है।
वासिंद्र मिश्र : इस बार की जो सरकार है, मनमोहन जी उस समय कैबिनेट में मंत्री हुआ करते थे माना जाता है कि वो नरसिम्हा राव जी से काफी प्रभावित हैं। उनकी कार्यशैली से, सरकार चलाने की तौर-तरीकों से आप को क्या संकेत मिल रहे है। नरसिम्हा राव जी के शिष्य मनमोहन जी के तरफ से?
विनय कटियार : मनमोहन जी इसमें कुछ नहीं कर सकते, वो कुछ नहीं कर सकते। कारण उस समय की परिस्थिति अलग थी आज की परिस्थिति अलग है। आज ये मजबूरी के प्रधानमंत्री हैं, जब तक चल जाये तब तक चल जाये। उनका हाईकमान बैठा हुआ है उसकी सोच अलग है, ये नहीं हो सकता है उस समय नरसिम्हा राव स्वयं पार्टी के अध्यक्ष थे। कमान उनके पास थे वो चाहे कर सकते थे, इन दोनों में नरसिम्हा राव और मनमोहन में बेसिक अंतर है।
वासिंद्र मिश्र : आप की नजर में ये आंदोलन कब तक चलते रहना चाहिए, 2014 के चुनाव तक कि उसके बाद भी...?
विनय कटियार : जब तक राममंदिर का निर्माण न हो जाए भव्य दिव्य, तब तक आंदोलन चलाना होगा। मुझे ऐसा लगता है आने वाले दिनों में और कुर्बानी होगी।
धन्यवाद!
First Published: Tuesday, August 27, 2013, 21:28