हैप्पी वैलेंटाइन यानी प्यार का अहसास--Valentine’s Day

हैप्पी वैलेंटाइन यानी प्यार का अहसास

हैप्पी वैलेंटाइन यानी प्यार का अहसासरामानुज सिंह

प्यार एक अहसास है। अगर आप अहसास को जीते हैं तभी आप किसी से प्यार कर पाएंगे। सामाजिक जीवन का कोई भी रिश्ता हो, प्यार और विश्वास के सहारे ही फलते-फूलते हैं। आज के परिवेश में दिखावे का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है, अहसास नाम की हस्ती मिटती जा रही है। यही वजह है कि प्यार और विश्वास की डोर लगातार कमजोर होती जा रही है। संत वेलेंटाइन के प्रेम के दर्शन को आप हीर-राझा के प्रेम से समझ सकते हैं। याद करिए उस रांझा को जो हीर की शादी के बाद घर छोड़कर योगी हो गया था, क्योंकि उसको इस बात का अहसास था कि हीर उसकी है और वह मजबूरीवश किसी गैर की डोली में बैठी है। हीर को भी इस बात का अहसास था कि रांझा के बिना वह जी नहीं सकती। इसलिए हीर ससुराल छोड़कर रांझे के पास आ गई थी। उनके बीच रूहानी रिश्ता था, उनको प्यार का अहसास था और उनको पता था कि एक-दूसरे के बिना जीना कितना मुश्किल है। हीर-रांझा का प्रेम बाजार की चकाचौंध में खो गया सा लगता है।

दरअसल प्यार एक रूहानी रिश्ता है। एक अहसास का नाम है प्यार। अहसास है तो प्यार है और प्यार है तो रिश्ते चाहे वह प्रेमी-प्रेमिका का हो, पति-पत्नी का हो, भाई-बहन का हो, मां-बेटे का हो या फिर पिता-पुत्री का हो, भूमंडलीकरण के दौर में भी उसे जिंदा रखा जा सकता है।

आज हर सातवें घर में दंपति तलाक लेने का विचार कर रहा है क्योंकि उनको इस बात का अहसास ही नहीं है कि उन दोनों को एक-दूसरे के लिए बनाया गया, उनको इस बात का अहसास ही नहीं है कि जुदाई के बाद मिलने वाली जिन्दगी कितनी दुखदायी होगी। इसलिए जब तक इंसान अहसास करना नहीं सीखता, वो प्यार को समझ नहीं पाएगा। और अगर प्यार को नहीं समझ पाए तो फिर वेलेंटाइन-डे की सार्थकता पर प्रश्नचिह्न लगना लाजिमी है।

हर वर्ष की तरह इस साल भी इजहार-ए-इश्क का प्रतीक वैलेंटाइन दिवस एक बार फिर 14 फरवरी को मनाया जा रहा है। इस दिवस के प्रति आकर्षण युवाओं में ज्यादा देखा जाता है। खासकर किशोरावस्था से युवावस्था में प्रवेश करने वाले युवक-युवतियों में। जब वे स्कूलों को अलविदा कहकर कॉलेज में पहुंचे है तो आजाद पंछी की तरह उन्मुक्त होकर कॉलेज प्रांगण में विचरण करते हैं। कॉलेजों में युवावस्था की दहलीज पर कदम रखने वाले इन युवक-युवतियों को विपरित लिंग के प्रति आकर्षण पैदा होने लगता है। एक-दूसरे के करीब आते हैं और कोई दोस्त बन जाते हैं तो कोई प्रेमी-प्रेमिका। ये अपने मन की भावना को एक-दूसरे से व्यक्त करने के लिए अक्सर वैलेंटाइन दिवस का ही चुनाव करते हैं। इसलिए इसे प्रेम दिवस भी कहा जाता है।

आज के दौर में ज्यादातर युवक-युवतियां अपने विपरित लिंगी साथी की तलाश कर ही लेते हैं। इनमें कई जीवन भर जीने मरने की कसमें खाते हैं। कितनों का प्यार अधूरा रह जाता है। कोई दिलजले बन जाता हैं। किसी का प्यार परवान चढ़ने से पहले ही स्वाहा हो जाता है तो कोई प्रेम की ऐसी इबारत लिख देता है कि जिसे हर प्यार करने वाला अपनाना चाहता है। दुनिया में प्रेम को लेकर खट्टे और मीठे दोनों तरह के किस्स सुनने को मिलते है।
हैप्पी वैलेंटाइन यानी प्यार का अहसास

वैलेंटाइन दिवस के मौके पर प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे को पत्र, फूल और गिफ्ट देते हैं। बाजार में प्रेमी जोड़ों के लुभाने के लिए कई तरह के गिफ्ट उपलब्ध होते हैं। जिसमें दिल के आकार के गिफ्ट की भरमार होती है। दिल के आकार की मिठाईयां, केक, चॉकलेट, टॉफी इत्यादि। इतना ही नहीं दिल के बने सोने, चांदी और हीरे के जेवरात भी मौजूद होते हैं। आजकल प्यार के इजहार में इन भौतिकवादी तत्वों का बोलबाला हो गया है।

जब से भूमंडलीकरण हुआ है कि प्यार भी वस्तु का रूप ले लिया है। पहले प्यार के इजहार के लिए सिर्फ एक-दूसरे के भावनाओं को देखा जाता था। पर अब उसका स्थान जेब ने ले लिया है। फलस्वरूप प्रेम का धागा अधिक टिकाऊ नहीं हो पाता है। सच्चे प्रेम में एक दूसरे के प्रति त्याग और समर्पण बहुत जरूरी है जो ताउम्र एक-दूसरे को जोड़े रखता है। रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने के लिए एक-दूसरे को अपनी बुद्धि और वफादारी का सबूत देना चाहिए। प्रेम जब सिर्फ शारीरिक आकर्षण होता है तो वहां बेवफाई का डर बना रहता है लेकिन जिस प्रेम में दिल और दिमाग दोनों शामिल हों वह आसानी से नहीं टूटता है। समझदारी, वफादारी, ईमानदारी, भलाई और समर्पण से भरे रिश्ते आसानी से ना तो तोड़े जा सकते हैं ना तो भुलाए जा सकते हैं।

दो दिलों के जोड़ने वाला वैलेंटाइन दिवस मनाने का चलन भले की हमारे देश में कुछ वर्षों से रहा हो पर यूरोपीय देशों में इसकी शुरूआत सदियों पहले हुई मानी जाती है। यह दिवस उस संत के बलिदान की याद में मनाया जाता है जिसने प्यार के नाम पर अपनी कुर्बनी दे दी। ऐसा माना जाता है कि रोम के शासक क्लोडियस द्वितीय ने अपने शासनकाल में अपने सिपाहियों पर अपनी प्रेमिकाओं से मिलने और शादी करने पर रोक लगा दी थी। तब संत वैलेंटाइन ने लोगों की छुपकर प्रेमी-प्रेमिकाओं की शादियां करवाई और प्रेम करने वालों को एक-दूसरे से मिलाया। इससे खफा होकर रोम के राजा क्लोडियस ने वैलेंटाइन को 14 फरवरी 269 ईसवी को मृत्युदंड दे दिया। वैलेंटाइन ने मरने से पहले अपनी दोस्त के नाम एक चिट्ठी लिखी जिसमें उसने लिखा प्रॉम योर वैलेंटाइन। तब से उनकी कुर्बानी के दिन को संत वैलेंटाइन के नाम पर वैलेंटाइन दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

प्यार सिर्फ प्रेमी-प्रेमिका के बीच नहीं होता है। प्यार का दायरा बहुत बड़ा है। हर रिश्तों को प्यार ही मजबूती प्रदान करता है। पति-पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन, पिता-पुत्र, पिता-पुत्री, गुरू-शिष्य, यानी हर तरह के संबधों में प्यार बहुत मायने रखता है। दफ्तर, सार्वजनिक स्थानों पर भी अगर आप किसी से प्यार से पेश आएंगे तो आपको उसका लाभ मिलेगा। इतना ही नहीं जनवर भी प्यार की भाषा समझते हैं।

वैलेंटाइन डे मनाइए, अवश्य मनाइए, धूमधाम से मनाइए, पर भौतिकता को नजरंदाज कर मानवीय संवेदनाओं को ज्यादा तरजीह दीजिए। तब इससे परिवार में, समाज में संवेदना और मानवता बढ़ेगी। इससे लोगों को प्रेम की गहराई और गरिमा को पहचाने का अवसर मिलेगा। जिससे अपराध, हिंसा और महिलाओं के प्रति अत्याचार, बलात्कार जैसी घटनाओं पर स्वतः अकुंश लगेगा।

First Published: Wednesday, February 13, 2013, 23:50

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