जीपीएस से समुद्र में हुए बड़े हलचल का पता चला

जीपीएस से समुद्र में हुए बड़े हलचल का पता चला

जीपीएस से समुद्र में हुए बड़े हलचल का पता चला
वाशिंगटन : वैज्ञानिकों ने ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की मदद से ग्रीनलैंड में साल 2010 में छह महीने में सौ अरब टन बर्फ के घटने का पता लगाया है। ओहियो स्टेट विश्वविद्यालय के भूगर्भ वैज्ञानिकों के प्रतिनिधित्व वाले एक समूह ने पाया कि साल 2010 में जब तापमान बहुत ज्यादा था तब समुद्र में बर्फ के प्रवाह में अचानक तेजी देखी गई और 100 अरब टन बर्फ सिर्फ छह महीने में पिघल गया।

नेशनल एकेडमी आफ साइंस पत्रिका में छपी खबर के मुताबिक इस अध्ययन ने बर्फ की हानि, हवा के दबाव में तब्दीली और यहां तक समुद्र के स्तर में परिवर्तन जैसे जलवायु परिवर्तन की विभिन्न घटना के लिए जीपीएस की क्षमता को रेखांकित किया है।

इस अधय्यन के प्रमुख शोधकर्ता माइकल बेविस ने कहा कि इस सिद्धांत का इस्तेमाल अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड से पहले बर्फ में हुई कटौती का अध्ययन करने के लिए किया जा चुका है। इससे पहले जीपीएस सिर्फ कई सालों में आए बदलाव का पता लगा पाता था। माइकल को उम्मीद है कि इस पद्धति से और कम समय में ऐसे भौगोलिक परिवर्तन का पता लगाया जा सकेगा।

इस अध्ययन में इस बात का पता चला है कि ग्रीनलैंड 2010 के जाड़े में छह मिमी सिकुड़ गया था। शोधकर्ताओं के अुनसार आधी सिकुड़न बर्फ के ऊपर आए हवा के दबाव से हुई थी और आधी बर्फ के संचय होने की वजह से। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, July 25, 2012, 20:59

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