Last Updated: Tuesday, January 22, 2013, 16:10

बेंगलूर : वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन ने कहा है कि भारत के प्रस्तावित मंगल मिशन से विश्व में देश की विश्वसनीयता बढ़ेगी और उसे वैज्ञानिक उद्देश्यों तथा क्षमता प्रदर्शन के अतिरिक्त भविष्य में इस तरह के अंतरराष्ट्रीय उद्यम में साझेदार बनने में मदद मिलेगी।
योजना आयोग के सदस्य कस्तूरीरंगन ने कहा कि मिशन खगोलीय खोज कार्यक्रम का तार्किक विस्तार है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि यह भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र में किफायती स्तर पर क्षमता को बढ़ाने का प्रयास है। उन्होंने उल्लेख किया कि इस मानवरहित मिशन की लागत 450 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है।
कस्तूरीरंगन ने कहा कि एक बार आप अपने काम का किफायती स्तर प्रदर्शित कर देते हैं तो आप खुद अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में साझेदार बनने की योग्यता हासिल कर लेते हैं। इसलिए, जब भविष्य में मंगल से संबंधित मानवयुक्त मिशन या महत्वपूर्ण मिशन होंगे तो भारत वैश्विक समुदाय का हिस्सा होगा क्योंकि आप पहले ही दिखा चुके हैं कि आप स्थान :मंगल: पर पहुंच चुके हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 22, 2013, 16:10