Last Updated: Saturday, September 29, 2012, 13:44

बेंगलूर : दक्षिण अमेरिका में फ्रेंच गुयाना स्थित लांच पैड से एरियन.पांच रॉकेट के जरिये अंतरिक्ष में प्रक्षेपित भारत के अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-10 की जांच में उसके सभी मापदंड संतोषजनक पाये गए हैं और उपग्रह अच्छी हालत में है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि उपग्रह के रॉकेट से अलग होने के साथ ही कर्नाटक के हासन स्थित इसरो के मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (एमसीएफ) ने जीसैट-10 का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।
इसरो की ओर से जारी बयान में कहा गया, उपग्रह की उप प्रणालियों मुख्य रूप से उर्जा, तापमान, कमान, सेंसर, नियंत्रण आदि की प्रारंभिक जांच की गई तथा सभी मापदंड संतोषजनक पाये गए। इसके बाद प्रणोदन प्रणाली की मदद से उपग्रह को पृथ्वी और सूर्य की ओर उन्मुख किया गया। उपग्रह अच्छी हालत में है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इसरो के 101वें अंतरिक्ष मिशन जीसैट-10 का प्रक्षेपण सफल रहा।
करीब 11 घंटे और 30 मिनट चली निर्बाध उलटी गिनती के बाद एरियन.पांच प्रक्षेपण यान उपग्रह जीसैट-10 को लॉन्च पैड से भारतीय समयानुसार कल देर रात दो बजकर 48 मिनट पर लेकर रवाना हुआ। इसके आधे घंटे और 45 सेकंड के बाद राकेट ने जीसैट-10 को दीर्घवृत्ताकार भूतुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में सफलतापूवर्क पहुंचा दिया। यह तय स्थान से काफी नजदीक है। आगामी पांच दिन में उपग्रह को भूस्थतिक कक्षा में पहुंचाने के लिये कदम उठाये जाएंगे। उपग्रह को उपग्रह प्रणोदन प्रणली के तीन स्तरीय चरण का इस्तेमाल करते हुए (भूमध्यरेखा से करीब 36 हजार किलोमीटर उपर) भूस्थतिक कक्षा में पहुंचाया जाएगा।
भूस्थतिक कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जीसैट-10 के दो सौर पैनलों और दो दोहरे ग्रिड वाले एंटीना रिफ्लैक्टरों की आगे की जांच की जाएगी। योजना है कि परीक्षणों के तहत उपग्रह के संचार पेलोड को अक्तूबर के दूसरे सप्ताह में शुरू किया जाएगा। जीसैट.10 नवम्बर तक इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाएगा।
जीसैट-10 में नेविगेशन उपकरण ‘गगन’ लगाया गया है, जो बेहतर जीपीएस संकेत मुहैया करायेगा और इसका इस्तेमाल भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण असैन्य विमानन जरूरतों को पूरा करने के लिये करेगा। उल्लेखनीय है कि गगन उपकरण के साथ इंसैट-जीसैट समूह का यह दूसरा उपग्रह है। इससे पहले मई 2011 में जीसैट-8 प्रक्षेपित किया गया था।
इससे पहले जीसैट-10 को 22 सितंबर को प्रक्षेपित किए जाने का कार्यक्रम था लेकिन वैज्ञानिकों ने रॉकेट के उपरी हिस्से में एक ग्राम धूल के कण पाने के बाद इसे स्थगित कर दिया था। जीसैट-10 परियोजना निदेशक टी के अनुराधा, अंतरिक्ष विभाग के अतिरिक्त सचिव एस श्रीनिवासन और इसरो के उपग्रह केंद्र के निदेशक एस के शिवकुमार आदि प्रमुख अधिकारी प्रक्षेपण के समय फ्रेंच गुयाना में मौजूद थे। इस प्रक्षेपण का दूरदर्शन से सीधा प्रसारण किया गया। शिवकुमार ने बताया कि जीसैट-10 भारत में ‘संचार क्रांति में’ एक प्रेरक का काम करेगा।
इसरो ने बताया कि जीसैट-10 परियोजना पर 750 करोड़ का खर्चा आया है जिसमें उपग्रह की लागत, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियनस्पेस की प्रक्षेपण सेवा और बीमा का खर्च शामिल है। एरियनस्पेस के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्यां यवेस ली गाल ने प्रक्षेपण स्थल पर कहा कि इसरो उनका महत्वपूर्ण ग्राहक है और करीब 30 साल पहले जून 1981 में एप्पल उपग्रह प्रक्षेपित करने के साथ ही इस रिश्ते की शुरूआत हुई थी। (एजेंसी)
First Published: Saturday, September 29, 2012, 13:44