Last Updated: Monday, April 15, 2013, 13:01

दुशांबे : उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ताजिकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व के साथ उच्चस्तरीय वार्ता करेंगे जिसके दौरान पाकिस्तान और अफगानिस्तान से पैदा हो रहे आतंकवाद और व्यापार संबंध गठजोड़ को प्राथमिकता दी जाएगी। अंसारी ने कल कहा ‘‘हम दोनों के बीच सामान्य और उच्च प्राथमिकता वाला मुद्दा है दोनों देशों के बीच पड़ने वाले क्षेत्र -यानि पाकिस्तान और अफगानिस्तान- से उपजा आतंकवाद की समस्या। अफगानिस्तान में स्थिरता ताजिकिस्तान के हित में है। हमारे हित समान है और चिंताएं भी एक जैसी हैं।’’ उपराष्ट्रपति ताजिकिस्तान के प्रधानमंत्री अकील अकिलोव, विदेश मंत्री हैमरोखोन जरिफी, आथिक विकास एवं व्यापार मंत्री शरीफ रहीमजोद, रक्षा मंत्री कर्नल जेनरल शेराली ख्यारुलोएव और संसद की उपरी सदन के अध्यक्ष शुकुजरेन जुहुरोव से मुलाकात करेंगे।
अंसारी ताकिस्तान की चार दिन की सद्भावना यात्रा पर हैं और वह इस मध्य एशियाई देश की यात्रा पर आने वाले पहले भारतीय उपराष्ट्रपति हैं। सोवियत संघ के 1991 में विघटन के बाद ताजिकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद से दोनों देशों के बीच 21 साल पुराना निकट और पारस्परिक सहयोग का संबंध है।
एक भारतीय कूटनीतिक के मुताबिक ताजिकिस्तान की सीमा चीन (520 किलोमीटर), अफगानिस्तान (1,420 किलोमीटर) और अफगान-वाखान गलियारा (16 किलोमीटर) से लगती है जिसके कारण भारत उसके लिए भू-रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध 1992 में स्थापित हुआ था। मई 1994 में भारत ने दुशांबे में अपना दूतावास खोला था जबकि भारत ने वहां 2003 में अपना दूतावास स्थापित किया था।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में ताजिकिस्तान की यात्रा की थी। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल सितंबर 2009 में यहां की यात्रा पर आई थीं। ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति एमोमाली रहमोन भारत में अक्सर आते रहे हैं। उन्होंने पांच बार - 1995, 1999, 2001, 2006 और सितंबर 2012 में भारत यात्रा की।
रहमोन की आखिरी यात्रा के दौरान के दौरान दोनों पक्षों ने व्यापार, स्वास्थ्य, संस्कृतिक, खेल और शिक्षा समेत कई क्षेत्रों में छह समझौते किए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशे द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक भागीदारी के स्तर पर ले गए।
अंसारी की यात्रा पिछले साल पेश भारत की मध्य एशिया को जोड़ने की नीति से जुड़ी है जिसका लक्ष्य है कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और जनता का संपर्क बेहतर बनाना।
अफगानिस्तान पार के गलियारों को खोलने के संबंध में भी चर्चा होगी ताकि चारों ओर से भू-सीमा से घिरे इस देश से व्यापार को आसान बनाया जा सके। परिवहन की दिक्कतों के कारण द्विपक्षीय व्यापार बहुत कम होता रहा है। वित्त वर्ष 2012-13 (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान द्विपक्षीय व्यापार करीब 3.41 करोड़ डालर का रहा जिसमें 30 फीसद आयात और 70 फीसद निर्यात हुआ। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 15, 2013, 13:01