Last Updated: Monday, November 28, 2011, 14:11
काहिरा : हुस्नी मुबारक के निरंकुश शासन के पतन के नौ महीने बाद मिस्रवासियों ने सोमवार को क्रांति के बाद के पहले संसदीय चुनाव में वोट डाला जिससे अरब जगत के इस सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश में लोकतंत्र के सूत्रपात की आस जगी है।
जैसा कि फील्ड मार्शल हुसैन तांतवी की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ सैन्य परिषद ने वादा किया है, उसके अनुसार, तीन चरणों में होने वाला यह चुनाव नागरिक शासन को सत्ता सौंपने की दिशा में पहला कदम है। हालांकि चुनाव से पहले लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों और दंगारोधी पुलिस में काफी संघर्ष हुआ।
मुबारक के सत्ता से हटने के बाद इस परिषद ने देश की बागडोर अपने हाथों में संभाली थी। नौ प्रांतों में कड़ी सुरक्षा के बीच वोट डालने के लिए सोमवार को स्थानीय समयानुसार सुबह छह बजे से ही हजारों मिस्रवासी मतदान केंद्रों पर लंबी लंबी कतारों में खड़े थे जबकि मतदान शुरू होने का समय आठ बजे था। संसद के निचले सदन पीपुल्स एसेम्बली की 508 सीटों के लिए चुनाव का सोमवार को पहला चरण है।
पचास से अधिक राजनीति दल चुनाव मैदान में हैं जबकि हजारों निर्दलीय प्रत्याशी भी ताल ठोक रहे हैं। पर्यवेक्षकों ने नरमपंथी इस्लाममिक आंदोलन मुस्लिम ब्रदरहुड के सबसे बड़े दल के उभरने का अनुमान व्यक्त किया है। पूर्ण बहुमत किसी दल मिलने की संभावना नहीं है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, November 28, 2011, 19:41