विश्व हिंदी सम्मेलन में 19 भारतीय सम्मानित

विश्व हिंदी सम्मेलन में 19 भारतीय सम्मानित


जोहानिसबर्ग : दुनियाभर में करीब 80 करोड़ लोगों द्वारा बोली और समझी जाने वाली भाषा हिंदी के प्रचार प्रसार में उल्लेखनीय भूमिका अदा करने वाले 19 भारतीय हिंदी विद्वानों को आज यहां नौंवे विश्व हिंदी सम्मेलन में विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में 21 सितंबर से शुरू हुए नौंवे विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रोफेसर एस शेषरत्नम, बालकवि बैरागी तथा मधुकर उपाध्याय समेत कुल 19 विद्वानों को हिंदी की सेवा के लिए आज यह सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान पाने वाले अन्य भारतीय विद्वानों में हिमांशु जोशी, राजेन्द्र प्रसाद मिश्र , कैलाश चंद्र पंत, एम. पियोंग तेजमन जमीर, प्रोफेसर सीई जीनी, डा. रामगोपाल शर्मा ‘दिनेश’ , प्रोफेसर जाबिर हुसैन, प्रोफेसर मधुसूदन त्रिपाठी, ज्ञान चतुर्वेदी, प्रोफेसर बीवाई ललिताम्बा, उषा गांगुली, डा. के. वंजा, डा. गिरिजा शंकर त्रिवेदी, हरिवंश और प्रोफेसर वाई लक्ष्मीप्रसाद शामिल हैं।

हिमांशु जोशी 56 सालों से लेखन कार्य में संलग्न हैं और उन्होंने 60 ग्रंथों की रचना की है। उन्होंने नार्वे की राजधानी ओस्लो से 15 वर्षों तक हिंदी में ‘शांतिदूत’ पत्रिका का प्रकाशन किया है। जाने माने गांधीवादी चिंतक, लेखक और समाजसेवी मधुसूदन त्रिपाठी के हिंदी में 76 ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। इन्होंने विख्यात बांग्ला ग्रंथ ‘राजमाला’ का हिंदी में अनुवाद किया है। जाने माने वरिष्ठ पत्रकार मधुकर उपाध्याय एक दशक से अधिक समय तक बीबीसी की हिंदी सेवा से जुड़े रहे हैं और बीबीसी हिंदी सेवा पर उनका कार्यक्रम ‘भारतनामा’ बेहद लोकप्रिय रहा है। विभिन्न विषयों पर कई किताबों के रचयिता मधुकर उपाध्याय का हिंदी के प्रचार प्रसार में उल्लेखनीय योगदान रहा है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, September 25, 2012, 13:54

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