Last Updated: Tuesday, December 6, 2011, 16:22
डरबन : चीन की इस घोषणा से कि वह 2020 के बाद कानूनी रूप से बाध्य जलवायु संधि पर हस्ताक्षर कर सकता है, उहापोह की स्थिति पैदा हो गई है। भारत सहित बेसिक देशों ने इस बात पर जोर देने के लिए कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से कैसे निपटा जाए, इस पर गठबंधन बंटा नहीं है, आज एक संयुक्त मोर्चा बनाने पर बल दिया।
चीन के रुख को बेसिक की स्थिति कमजोर होने के तौर पर देखा जा रहा है, जिसने जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने का वैश्विक दायित्व विकसित देशों के कंधों पर डाला है। बेसिक (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और रूस) कहलाने वाले गठबंधन ने एकजुटता प्रदर्शित करते हुए मंगलवार को एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया, जिसमें डरबन वार्ता में चीन के मुख्य वार्ताकार झी शेन्हुआ ने कहा कि यह संवाददाता सम्मेलन दुनिया का एक संदेश देने के लिए है कि बेसिक देश एकजुट हैं।
उन्होंने कहा कि क्योतो प्रोटोकाल को जारी रखा जाना चाहिए और दूसरी प्रतिबद्धता की अवधि आवश्यक है। वित्त के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि 30 अरब डालर धन का प्रवाह सबसे गरीब देशों के लिए फास्ट ट्रैक वित्त कोष में होना चाहिए। उन्होंने 2020 से विकासशील देशों के लिए सालाना 100 अरब डालर का दीर्घकालीन कोष गठित करने का अनुरोध किया। जलवायु वार्ता पर एक उच्च स्तरीय वार्ता आज डरबन में शुरू हुई, जिसमें जलवायु वार्ता से मुकाबले के लिए अगले कदम पर सहमति जताने के लिए सरकारी वार्ताकार और 194 देशों के मंत्री एकत्र हुए।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 6, 2011, 21:52