Last Updated: Wednesday, June 27, 2012, 17:48

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत की रिहाई के मामले में सरकार का अपने रूख से सिरे से पलट जाने के पीछे कट्टरपंथी ताकतों का दबाव था या यह सब सही पहचान नहीं हो पाने के कारण हुआ। मौत की सजा का सामना कर रहे सरबजीत की रिहाई की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही पहली घोषणा को पलटकर एक अन्य भारतीय कैदी की रिहाई की बात करने के कारण पाकिस्तान सरकार के समक्ष तमाम आज ऐसे सवाल उठ खड़े हुए हैं जिनका आज कोई जवाब नहीं मिल सका।
पाकिस्तानी और भारतीय टीवी चैनलों में इस खबर को बेहद प्रमुखता से दिखाया गया और इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की गयी। भारतीय टीवी चैनलों ने जरदारी के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर से बात की और उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सरबजीत को रिहा किया जा रहा है।
लेकिन मध्य रात्रि के करीब उस समय नजारा सिरे से बदल गया जब बाबर ने कहा कि सरबजीत नहीं बल्कि एक अन्य भारतीय बंदी सुरजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है।
पाकिस्तान में 1990 में बम विस्फोट की कई घटनाओं में संलिप्तता को लेकर दोषी ठहराए गए और मौत की सजा का सामना कर रहे सरबजीत सिंह को पाकिस्तान सरकार द्वारा रिहा करने की कल खबर आने के बाद जहां भारत में खुशियां मनायी जा रही थी वहीं पाकिस्तान में कट्टरपंथी पार्टियों ने इसे लेकर नाराजगी जतानी शुरू कर दी।
जमाते इस्लामी और जमात उद दावा ने सरबजीत को मुक्त करने की खबर की भर्त्सना की।
जमाते इस्लामी के प्रमुख सैयद मुनव्वर हसन ने कहा कि मुंबई आतंकी हमले में अजमल कसाब को भारत ने बिना सबूत के सजा सुनायी है तथा पाकिस्तान उसे कोई कानूनी सहायता मुहैया नहीं कर रहा है।
लश्करे तैयबा के मुखौटा संगठन जमात उद दावा ने ट्वीट किया, समझौता एक्सप्रेस और भारतीय जेलों में बंद मासूम पाकिस्तानियों के लिए एक भी मांग नहीं, इसके बदले आतंकवादी सरबजीत को जीने की आजादी। शर्मनाक।
सरबजीत की रिहाई की खबर पाकिस्तान में काफी देखे जाने वाले टॉक शो में भी छाई रही और देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एंकर हामिद मीर ने सरबजीत को ‘भारत का अजमल कसाब’ बताया। कसाब साल 2008 के मुंबई हमले में संलिप्त एकमात्र आतंकवादी है, जिसे जीवित पकड़ा गया गया था।
पाकिस्तानी मीडिया ने भी अचानक आये इस बदलाव पर हैरत जतायी है। ‘डॉन’ समाचार पत्र की वेबसाइट ने इस घटनाक्रम को अनोखे तरीके से लिया गया सरकार का ‘यू टर्न’ करार दिया है।
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने पहले पन्ने पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गलत पहचान के मामले को लेकर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी की स्थिति में आ गया है।
हालांकि, सोशल मीडिया और खासतौर पर ट्विटर पर इस बात की अटकलें थी कि क्या सरकार को शक्तिशाली सुरक्षा प्रतिष्ठान से दबाव के कारण सरबजीत को मुक्त करने के किसी भी संभावित कदम से पलटने पर मजबूर होना पड़ा।
पाकिस्तानी सेना खासतौर पर भारत और अमेरिका के साथ संबंधों के मामले में विदेश नीति को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्पष्ट नहीं है कि यह गड़बड़ी कैसे हुई। क्या अधिकारियों की ओर से सूचना देने में गलती हुई या मीडिया की ओर से रिपोर्टिंग करने में चूक हुई।
पाकिस्तानी टेलीविजन समाचार चैनलों ने कल दोपहर सबसे पहले खबर दी कि राष्ट्रपति ने सरबजीत की मौत की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दी है और अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर सरबजीत ने अपने कारावास की सजा पूरी कर ली है तो वे उसे रिहा करने के लिए कदम उठाएं।
आज सुबह तक ज्यादातर पाकिस्तानी टेलीविजन समाचार चैनलों ने सरबजीत को लेकर गड़बड़ी पर रिपोर्टिंग बंद कर दी थी। जियो चैनल जैसे कुछ चैनलों पर विदेश मंत्री एस एम कृष्णा की ओर से सरबजीत और पाकिस्तानी जेलों में बंद अन्य भारतीय कैदियों को रिहा करने की खबरों को दिखाया गया।
कम से कम तीन समाचार पत्रों ने भारतीय कैदियों की पहचान में गड़बड़ी को लेकर खबर नहीं प्रकाशित की और उन्होंने अपने पहले पन्ने पर खबर प्रकाशित की है कि राष्ट्रपति के आदेश पर सरबजीत को रिहा किया जाना है।
सरबजीत और सुरजीत दोनों फिलहाल लाहौर के कोट लखपत जेल में बंद हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 27, 2012, 17:48