सरबजीत की सुरक्षा के साथ किया गया था समझौता : पाक मानवाधिकार आयोग

सरबजीत की सुरक्षा के साथ किया गया था समझौता : पाक मानवाधिकार आयोग

लाहौर : पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने कहा कि ‘जेल के सुरक्षाकर्मियों और अधिकारियों की जानकारी और मिलीभगत के बगैर’ जेल के भीतर सरबजीत सिंह पर जानलेवा हमला नहीं हो सकता था। मानवाधिकार आयोग ने सरबजीत पर हुए हमले में ‘भूमिका निभाने वाले सभी लोगों के खिलाफ’ कार्रवाई की मांग की है। 26 अप्रैल को हुए हमले के बाद करीब एक सप्ताह तक जिन्ना अस्पताल के आईसीयू में रहने के बाद भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की आज तड़के मौत हो गई।

आयोग ने एक बयान में कहा, ‘कोई भी यह नहीं मानेगा कि जेल में मौत की सजा भुगत रहे कैदी सरबजीत पर जेल के सुरक्षाकर्मियों और जेल अधिकारियों के समर्थन के बगैर कैदियों द्वारा इतना बर्बर हमला किया जा सकता है।’ बयान में कहा गया है, ‘यह कोई गोपनीय बात नहीं है कि सरबजीत पर लगे आरोपों के कारण अन्य कैदियों के मुकाबले उन्हें ज्यादा खतरा था फिर भी उनकी सुरक्षा के साथ समझौता किया गया।’
सरबजीत सिंह को वर्ष 1990 में पंजाब प्रांत में हुए बम विस्फोट के मामले में मौत की सजा सुनायी गयी थी । विस्फोट में 14 लोग मारे गए थे। भारतीय संसद भवन पर वर्ष 2001 में हुए हमले में शामिल होने के आरोपी अफजल गुरू को फांसी की सजा दिए जाने के बाद ही सरबजीत के वकील अवैस शेख ने अधिकारियों को उनकी सुरक्षा के संबंध में सतर्क रहने को कहा था। मानवाधिकार आयोग का कहना है कि सरबजीत सिंह पर हमला ‘जनरल परवेज मुशर्रफ जैसे व्यक्ति को अदालत से भागने की अनुमति देने से ज्यादा बड़ा अपराध है।’

संस्था ने कहा कि पाकिस्तान और भारत को सरबजीत की मौत से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आने से बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए और दोनों देशों में कैद एक-दूसरे के नागरिकों के बारे में सोचना चाहिए। आयोग ने कहा कि उसे चिंता है कि सरबजीत की मौत से कहीं दोनों देशों द्वारा रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए की गई कड़ी मेहनत बर्बाद न हो जाए। फिलहाल पाकिस्तान के लाहौर, कराची और रावलपिंडी स्थित जेलों में कम से कम 532 भारतीय कैदी बंद हैं। इनमें से 480 से ज्यादा भारतीय मछुआरे हैं। (एजेंसी)

First Published: Thursday, May 2, 2013, 22:44

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