Last Updated: Monday, February 6, 2012, 08:30
वाशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और समान विचार वाले अन्य देशों ने सीरिया पर पश्चिमी देशों के समर्थन वाले मसौदा प्रस्ताव को कुछ संशोधनों के बाद ही समर्थन देने का फैसला किया था। प्रस्ताव के मसौदे का समर्थन करने का निर्णय तभी किया गया जब उसमें से सत्ता परिवर्तन, प्रतिबंधों की धमकी और सैन्य हस्तक्षेप के प्रावधानों को स्पष्ट रूप से हटाने पर सहमति हुई।
सीरिया संबंधित मसौदा प्रस्ताव को मोरक्को ने पेश किया था और अरब लीग ने उसका अनुमोदन किया था लेकिन दो स्थायी सदस्यों रूस और चीन द्वारा वीटो किए जाने के कारण यह पारित नहीं हो सका।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अन्य राजनयिकों के साथ बातचीत करने वाले भारतीय राजनयिकों ने बताया कि भारत ने इसके समर्थन में मतदान का निर्णय तब लिया जब मसौदा प्रस्ताव के समर्थकों ने भारत और अन्य समान विचार वाले देशों की शर्तों को पूरा किया।
समान विचार वाले अन्य देश दक्षिण अफ्रीका, अजरबैजान और पाकिस्तान हैं। अधिकारियों ने बताया कि अंतिम दौर की वार्ता के बाद यह स्पष्ट था कि रूस और चीन उसका समर्थन करेंगे। रूस की ओर से प्रस्ताव के विरोध का निर्णय आखिरी समय में म्युनिख में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच बैठक के बाद आया। यह माना जा रहा है आखिरी समय में रूस के सुझाव या शर्तों को न तो बातचीत के दौरान और न ही सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों के साथ साझा किया गया लेकिन इस पर अमेरिका के साथ द्विपक्षीय रूप से चर्चा की गई। इस घटनाक्रम ने कई राजनयिकों को आश्चर्यचकित कर दिया।
एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि प्रस्ताव को भारत और समान विचार वाले देशों के समर्थन से पहले पहले (सीरियाई) राष्ट्रपति बशर अल असद द्वारा सत्ता उप राष्ट्रपति को सौंपने के प्रावधान को हटाना पड़ा।
(एजेंसी)
First Published: Monday, February 6, 2012, 14:00