Last Updated: Thursday, May 16, 2013, 15:45

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासभा में सीरिया में राजनीतिक बदलाव को लेकर अरब देशों द्वारा लाए गए, अमेरिका समर्थित प्रस्ताव पर भारत मतदान से दूर रहा। भारत उन 58 देशों में शामिल रहा जिन्होंने इस गैर बाध्यकारी प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। बुधवार को हुए मतदान में 107 मतों के साथ यह प्रस्ताव पारित हो गया।
रूस समेत 12 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। अगस्त, 2012 में इसी तरह के एक अन्य प्रस्ताव को 133 मत मिले थे। पाकिस्तान ने प्रस्ताव के पक्ष में मत दिया, जिससे उसके पूर्व के रुख में आए महत्वपूर्ण बदलाव का पता चलता है।
मतदान से दूर रहने के भारत के रूख को स्पष्ट करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजूदत अशोक कुमार मुखर्जी ने महासभा के सदस्यों को आगाह करते हुए कहा कि किसी भी तरह की एकतरफा कार्रवाई से संकट का हल नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा कि इससे समस्या और गहरी होगी तथा सीरिया में और अधिक अस्थिरता और सीरिया की सीमा से इतर हिंसा बढ़ेगी। मुखर्जी ने कहा कि कोई समूह सीरिया के लोगों का वैध प्रतिनिधि है या नहीं, इसका निर्धारण सीरियाई लोग कर सकते हैं ना कि महासभा।
भारतीय राजदूत ने कहा कि हम एक बार फिर अपना रूख दोहराते हैं कि सीरिया के नेतृत्व के मामले का फैसला सीरियाई लोगों को करना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 16, 2013, 15:45