Last Updated: Friday, November 23, 2012, 10:33

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के अग्रणी समाचारपत्र `डॉन` ने गुरुवार को कहा कि अजमल आमिर कसाब को फांसी दिए जाने की घटना ने संवेदनहीन होकर सुनियोजित ढंग से किए गए जनसंहार की यादें ताजा कर दीं, जिसके कारण पाकिस्तान और भारत के बीच ईंट की दीवार खड़ी हो गई।
`डॉन` के संपादकीय में लिखा गया है कि मुम्बई में आतंकवादी हमले के चार साल बाद भी कई सवाल अभी तक अनुत्तरित हैं। ज्ञात हो कि पाकिस्तानी नागरिक कसाब ने अपने 10 साथियों के साथ मिलकर 26 नवंबर 2008 को मुम्बई में अंधाधुंध गोलीबारी कर 166 लोगों की जान ले ली थी और 300 लोगों को घायल कर दिया था। मुम्बई की आर्थर रोड जेल में बंद कसाब को बुधवार को गोपनीय ढंग से फांसी दे दी गई।
समाचारपत्र ने सवाल उठाया कि निर्दोष नागरिकों की हत्या की साजिश किसने रची थी? उन्हें क्या हासिल करने का प्रस्ताव दिया था? और बंदूकधारियों को कहां और कैसे प्रशिक्षण दिया गया और हथियार मुहैया कराए गए?
समाचारपत्र ने लिखा कि इस्लामाबाद ने हालांकि कुछ हठधर्मी हत्यारों की कारस्तानियोंका खुलासा किया लेकिन इससे पाकिस्तान के आंतकवाद विरोधी तंत्र की कमियों को छिपाया नहीं जा सकता। संपादकीय में सवाल किया गया है कि इन गतिविधियों को पाकिस्तान में क्यों नजरअंदाज किया गया? (एजेंसी)
First Published: Friday, November 23, 2012, 09:22