Last Updated: Sunday, September 15, 2013, 19:15

बालेश्वर (ओडिशा) : भारत ने रविवार को सतह से सतह पर मार करने वाले अपने अंतर महाद्वीपीय मिसाइल ‘अग्नि-5’ का ओडिशा तट से सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है और 5000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार कर सकती है।
इस मिसाइल का पहला प्रक्षेपण पिछले साल किया गया था। डीआरडीओ के एक अधिकारी ने कहा, ‘डीआरडीओ की प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता और भारत की ताकत अग्नि-5 का आज सुबह करीब 8 बजकर 50 मिनट पर व्हीलर द्वीप स्थित एकीकृत परीक्षण क्षेत्र (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर से परीक्षण किया गया।’
अग्नि-5 के द्वितीय परीक्षण को पूरी तरह सफल बताते हुए अधिकारी ने कहा कि मिसाइल पूर्व निर्धारित मार्ग पर रवाना हुआ और अपेक्षित सुस्पष्टता के साथ अपने गंतव्य पर पहुंचा। इस मिसाइल का विकास रक्षा एवं अनुसंधान संगठन ने किया है।
डीआरडीओ की एक विज्ञप्ति में बताया गया, ‘भारत का सतह से सतह पर मार करने वाला अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है। पिछले साल पहली बार किए गए शानदार प्रक्षेपण की पुनरावृत्ति करते हुए आज इसका सफल प्रक्षेपण किया गया।’
स्वदेश विकसित मिसाइल 5000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम है। यह मिसाइल एक टन से अधिक वजन तक परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है। यह तकरीबन 17 मीटर लंबी और दो मीटर चौड़ी है। इसका वजन करीब 50 टन है।
विज्ञप्ति में बताया गया कि तीन चरण वाली ठोस रॉकेट मोटर से लैस मिसाइल का ऑटो मोड में दोषरहित प्रक्षेपण किया गया और पूरी तरह पूर्व निर्धारित शैली में अपने समूचे रास्ते का पालन किया और पूर्व निर्धारित चरणों में तीन मोटरों को महासागर में गिराया। मध्य दूरी और लक्ष्य बिंदु पर खड़े जहाजों ने यान पर नजर रखा और अंतिम घटना का गवाह बने। जहाज पर स्थित और रास्ते पर जमीनी केंद्रों पर मौजूद सभी राडारों और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल प्रणाली ने मिसाइल के प्रदर्शन मानदंडों की निगरानी की और सही समय में सूचना प्रदर्शित की।
मिसाइल की सभी प्रणालियों और उप प्रणालियों यथा प्रक्षेपण प्रणाली, नौवहन प्रणाली, नियंत्रण प्रणाली, रॉकेट मोटरों और री-एंट्री पैकेज ने अच्छा प्रदर्शन किया।
नौवहन प्रणाली, बेहद सटीक रिंग लेजर गाइरो आधारित इनर्शियल नैविगेशन सिस्टम (आरआईएनएस) और सर्वाधिक आधुनिक और सटीक सूक्ष्म नौवहन प्रणाली (एमआईएनएस) ने इस बात को सुनिश्चित किया कि मिसाइल लक्ष्य बिंदु के कुछ मीटर के भीतर बेहद सटीक ढंग से पहुंचे।
तेज गति वाले कंप्यूटर और त्रुटि को बर्दाश्त करने वाले सॉफ्टवेयर के साथ कठोर और भरोसेमंद बस ने मिसाइल का दोषरहित मार्गदर्शन किया। रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने डीआरडीओ वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है।
डीआरडीओ वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन ने कहा कि यह घटना भारत की लंबी दूरी की मिसाइल युग में मील का पत्थर है।
डीआरडीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एक बड़ा ऐतिहासिक क्षण। अग्नि-5 का दूसरा सफल परीक्षण उसकी परिपक्वता, बारंबारता और प्रणाली की मजबूती इसके निर्माण की शुरुआत और बाद में उसे शामिल करने का रास्ता साफ करेगा।’
आज का परीक्षण डीआरडीओ द्वारा विकसित मिसाइल का दूसरा परीक्षण है। पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 को सफलतापूर्वक किया गया था। अग्नि श्रृखंला में भारत के पास फिलहाल 700 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम अग्नि-1, 2000 किलोमीटर की दूरी तक मारक क्षमता वाली अग्नि-2, 2500 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम अग्नि-3 और 3500 किलोमीटर की दूरी तक मारक क्षमता वाली अग्नि-4 मिसाइल है।
सूत्रों ने बताया कि अग्नि-5 को कुछ और परीक्षणों के बाद सैन्य बलों में शामिल किया जाएगा। सामरिक बल कमान दल के शीर्ष अधिकारी अभियान के दौरान मौजूद थे ताकि प्रणाली से परिचित हो सकें और प्रशिक्षण ले सकें।
रक्षा विभाग के अनुसंधान एवं विकास मामलों के सचिव अविनाश चंदर ने प्रक्षेपण के साथ-साथ प्रक्षेपण पूर्व गतिविधियों का भी मार्गदर्शन किया। डीजी (एमएसएस) डा. वी जी सेकरन, सी-इन-सी एसएफसी डा. जयरमन, निदेशक एएसएल सतीश रेड्डी, निदेशक आरसीआई एमवीकेवी प्रसाद, निदेशक आईटीआर गुरूप्रसाद, निदेशक आरएंडडीई इंजीनियर्स पुणे प्रक्षेपण अभियान के दौरान मौजूद थे।
प्रक्षेपण के दौरान परियोजना निदेशक आर के गुप्ता ने वैज्ञानिकों और डीआरडीओ के कर्मियों के दल का मार्गदर्शन किया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 15, 2013, 09:24