Last Updated: Friday, December 30, 2011, 12:24
नई दिल्ली/गाजियाबाद : टीम अन्ना ने कहा कि सरकार ने राज्यसभा में हुए नाटक को रचा क्योंकि उसकी मंशा एक मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी संस्था बनाने की नहीं थी। टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि राज्यसभा में जिस तरह मतदान से बचा गया उससे साबित होता है कि सरकार एक के बाद एक धोखा कर रही है। वहीं, टीम के एक अन्य सदस्य प्रशांत भूषण ने कहा कि अब लड़ाई लोकतंत्र को बचाने के लिए होगी।
केजरीवाल का कहना है कि वह एक मजबूत लोकपाल विधेयक पेश करना चाहते हैं, लेकिन उनकी ऐसी मंशा नहीं है। अन्ना हजारे के समर्थकों का कहना था कि सरकार अगर तीन संशोधनों को मान लेती तो वह विधेयक पारित करा सकती थी। ये तीन संशोधन हैं-सीबीआई की स्वतंत्रता, चुनने व हटाने की प्रक्रिया और लोकायुक्त को अलग करना।
केजरीवाल ने कहा कि सदन में पेश किया गया विधेयक न सिर्फ कमजोर था बल्कि खतरनाक भी था, क्योंकि इसमें लोकपाल पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में था। केजरीवाल ने कहा कि यह एक मतबूत लोकपाल की शुरुआत हो सकती थी।
वहीं, टीम के एक अन्य सदस्य प्रशांत भूषण ने कहा कि अब लड़ाई लोकतंत्र को बचाने के लिए होगी। उधर, केजरीवाल ने कहा कि टेलीविजन चैनलों ने दिन की खबरो में बताया था कि राजद सदस्य अड़चन पैदा करेंगे और कार्यवाही को देर रात तक खीचेंगे, ताकि विधेयक पर चर्चा नहीं हो सके। राज्यसभा में जो हुआ उसकी पटकथा सदन के बाहर ही लिख ली गई थी। कुछ लोगों ने बिलकुल इसके अनुसार काम किया। यह संसद में मैच फिक्सिंग का स्पष्ट मामला था।
प्रशांत ने कहा कि कार्यवाही बाधित करने, विधेयक को हटाने और विधेयक पारित किए बगैर सभी लोगों का घर जाना सुनिश्चित करने के लिए लोगों को नियुक्त किया गया था। टीम के अन्य सदस्य शांति भूषण ने कहा कि तीन संशोंधनों पर विपक्ष एकमत हो चुका था। उन्होंने कहा कि सदन के अंदर लोकतंत्र की ‘हत्या’ के वक्त प्रधानमंत्री भी वहां मौजूद थे।
वहीं, टीम अन्ना ने राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पर चर्चा के दौरान उच्च सदन के सभापति हामिद अंसारी के निर्णय पर भी सवाल उठाया। किरण बेदी ने ट्वीट किया कि सभी के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब वह ऊपर उठ सकता है। राज्यसभा के सभापति के लिए इतिहास बनाने के लिहाज से ऐसी एक रात थी।
अंसारी ने कल लोकपाल पर चर्चा के दौरान भारी हंगामे के बीच रात 12 बजे राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी थी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार अल्पमत में है इसलिए मतदान से भाग रही है।
बेदी ने सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उसने इस मुद्दे पर ‘सदन की भावना’ का सम्मान करने के लिहाज से अन्य राजनीतिक दलों को शामिल करने के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं की। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में लोकपाल विधेयक को पारित कराना कांग्रेस की जिम्मेदारी थी क्योंकि वह सत्तारूढ़ पार्टी है। उन्होंने कहा कि सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि सदन की भावना का सम्मान हो। उन्हें सदन की भावना जताने के बाद काफी तैयारी करनी चाहिए थी।
बेदी ने यह आरोप भी लगाया कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अन्य राजनीतिक दलों को शामिल करने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं किए। उन्होंने राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पर भाजपा नेता अरुण जेटली और राम जेठमलानी तथा कांग्रेस सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी के भाषण की सराहना की। बेदी ने कहा कि हम इस सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते। शाम तक बहुत स्पष्ट था कि सरकार मत विभाजन का सामना करने के लिए तैयार नहीं है। आज बड़ा विश्वासघात हुआ है।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, December 31, 2011, 13:27