Last Updated: Sunday, April 14, 2013, 15:54

नई दिल्ली : ‘मुझे नहीं लगता कि आप पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं। यदि आप याह्या (पाकिस्तान के सैन्य शासक याह्या खान) के साथ मजबूती से खड़े होते तो आप पाकिस्तान के लिए काफी कुछ करते।’ ये पंक्तियां भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध से केवल कुछ ही दिन पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नवंबर 1971 में वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से मुलाकात के दौरान कही थीं। विकीलीक्स द्वारा सार्वजनिक किए गए एक अमेरिकी राजनयिक केबल में यह खुलासा किया गया है।
19 अक्तूबर 1973 का यह केबल तत्कालीन राजदूत डेनियल पैट्रिक मोनिहेन तथा इंदिरा गांधी के बीच की बातचीत पर आधारित है। अपनी मुलाकात के दौरान मोनिहेन ने इंदिरा गांधी को निक्सन की इस चिंता के बारे में सूचित किया था कि 1973 में अफगान सीमा के घटनाक्रमों से कहीं पाकिस्तान के लिए परेशानी पैदा न हो जाए और वह उम्मीद करते हैं कि भारत भी इस विचार से सहमति रखेगा।
यही वह समय था जब इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश के संकट से पूर्व निक्सन के साथ हुई अपनी बातचीत को याद किया था। विकीलीक्स द्वारा आठ साल पहले सार्वजनिक किए गए एक केबल में कहा गया था कि निक्सन ने इंदिरा गांधी से बातचीत के कई घंटे बाद व्हाइट हाउस में मिलने आए हेनरी किसिंजर के समक्ष इंदिरा गांधी को ‘बूढ़ी जादूगरनी’ कहा था। अमेरिका ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान का पक्ष लिया था और हिंद महासागर में अपने सातवें बेड़े को भेजने तक की धमकी दे डाली थी। उस समय इंदिरा गांधी ने ऐलान कर दिया था कि भारत इस प्रकार के कदमों से नहीं डरेगा।
1973 के केबल में मोनिहेन ने कहा, इंदिरा ने आश्वासन दिया था कि भारत अपनी विदेश नीति के महत्वपूर्ण अंग के रूप में पाकिस्तान की स्वतंत्रता और अखंडता को देखता है लेकिन पश्तूनिस्तान और बलूचिस्तान में वह देश जिस नीति को अपना रहा है, उससे वह देश ‘मजबूत नहीं होगा बल्कि यह उसे कमजोर करेगी।’ मोनिहेन ने लिखा, ‘पाकिस्तान ने अंतत: जो किया है वह पाकिस्तान के लिए अच्छा नहीं है। बलूचिस्तान और पश्तूनिस्तान पाकिस्तान के आंतरिक मामले हैं। भारत हस्तक्षेप नहीं करेगा। उसने कभी भी लोगों को बरबाद करने के लिए काम नहीं किया है। आखिरकार, अफगानिस्तान में बड़ी पठान आबादी है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि ये आबादी पाकिस्तान की घटनाओं से उद्वेलित न हो।’
अपनी मुलाकात के दौरान, मोनिहेन ने इंदिरा गांधी को सूचित किया था कि निक्सन इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अफगान सीमा के घटनाक्रम से पाकिस्तान के लिए दिक्कतें पैदा नहीं होनी चाहिए और उन्हें उम्मीद है कि भारत उनके इन विचारों से सहमत होगा। राजदूत ने इंदिरा गांधी से कहा था कि अमेरिका महसूस करता है कि परेशानियों के बावजूद दक्षिण एशिया में शांति सही मायने में आ गयी है। लेकिन इंदिरा गांधी ने इस पर उनसे कहा था कि हालात ‘अभी बेचैनीभरे’ हैं।
कारोबारी समुदायों के बीच की बेचैनी का जिक्र करते हुए राजदूत ने इंदिरा गांधी से कहा था कि व्यावसायी उनसे रोजाना पूछते हैं कि भारत में व्यवसाय करना सही रहेगा। लेकिन वह कभी जवाब नहीं दे सके। उन्होंने कहा, ‘जो बंद करना चाहते हैं, मेरी उनसे अपील की है कि ऐसा नहीं करें।’ मोनिहेन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें बताया था कि वह ‘संबंधों को जड़ होते नहीं देखना चाहती और उन्होंने कुछ ऐसे संकेत भी दिए कि वह ऐसा होने से रोकने के लिए कुछ भी कर जाएंगी।’
आर्थिक सहयोग के विस्तार पर मोनिहेन ने कहा था कि अमेरिका समझता है कि प्रधानमंत्री को अमेरिका के साथ नए संबंध स्थापित करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इंदिरा गांधी के मुख्य सचिव पीएन धर ने एक अलग मुलाकात में मोनिहेन को बताया था कि उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि प्रधानमंत्री बढ़ते आर्थिक संबंधों के प्रति उदासीन हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, April 14, 2013, 15:54