Last Updated: Monday, November 21, 2011, 09:52
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसियां अहमदाबाद: वर्ष 2004 के इशरत जहां मामले की पड़ताल कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने नरेन्द्र मोदी की सरकार को एक झटका देते हुए कहा है कि यह कॉलेज छात्रा एक फर्जी मुठभेड़ में मारी गई थी, जिसपर हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक नया एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इशरत और तीन अन्य लोग मुठभेड़ की तारीख 15 जून 2004 से पहले मारे गए थे।
न्यायमूर्ति जयंत पटेल और न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी की एक खंड पीठ ने आदेश दिया कि संबंद्ध पुलिस थाने में धारा 302 के तहत उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक अलग एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए, जो शूटआउट में शामिल थे।
एसआईटी ने मुठभेड़ पर हाईकोर्ट में 18 नवंबर को अपने तथ्यों को अपनी अंतिम रिपोर्ट में पेश किया था।
अदालत फिलहाल इस बात पर विचार कर रही है कि कौन सी केंद्रीय एजेंसी (सीबीआई या एनआईए) दूसरी एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच कर सकती है और उसने इस बारे में याचिकाकर्ताओं तथा राज्य सरकार से सुझाव मांगे हैं।
अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी को यह पता लगाने की जरूरत है कि मुठभेड़ में किसने अहम भूमिका निभाई थी और इसके पीछे क्या मकसद था तथा चारों लोगों की मौत का वास्तविक समय क्या था।
पुलिस ने इशरत और उसके साथियों के लश्कर आतंकी होने का दावा किया था और कहा था कि यह लोग गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे।
गुजरात पुलिस ने 15 जून 2004 में कॉलेज छात्रा इशरत जहां और उसके तीन दोस्तों जावेद गुलाम उर्फ प्रनेश कुमार पिल्लई, अमजद अली उर्फ राजकुमार अकबर अली राणा और जीशान जौहर अब्दुल गनी को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था।
First Published: Tuesday, November 22, 2011, 12:42