इशरत मामले में सीबीआई के आग्रह को कानून मंत्रालय को भेजा

इशरत मामले में सीबीआई के आग्रह को कानून मंत्रालय को भेजा

नई दिल्ली : गृह मंत्रालय ने गुजरात हाईकोर्ट को इशरत जहां के बारे में सौंपी गयी जानकारियों पर विरोधाभासी हलफनामों से संबद्ध फाइलें मुहैया कराए जाने के सीबीआई के आग्रह को कानून मंत्रालय के विचारार्थ भेज दिया है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि सीबीआई (केन्द्रीय जांच ब्यूरो) ने आग्रह किया है कि उपसचिव आर वी एस मणि द्वारा 2009 में उच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामों से संबद्ध फाइलें उसे मुहैया करायी जाएं। सूत्रों ने कहा कि सीबीआई के आग्रह को कानून मंत्रालय के विचारार्थ भेज दिया गया है। कानून मंत्रालय से राय मांगी गई है कि यह गोपनीय सूचना मामले की जांच में प्रासंगिक है अथवा नहीं।

छह अगस्त 2009 को दाखिल हलफनामे में इशरत और तीन अन्य को आतंकवादी बताया गया था जबकि 30 सितंबर 2009 को दाखिल हलफनामे में दावा किया गया कि इस बात के कोई पक्के साक्ष्य नहीं हैं कि इशरत आतंकवादी थी। मणि से सीबीआई ने इस संबंध में पूछताछ की लेकिन वह 19 वर्षीय इशरत के बारे में रुख बदलने को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी। सूत्रों ने कहा कि रूख में बदलाव का आधार जो जानकारी बनी, उससे जुडी फाइलें मांगी गयी हैं ताकि सही तस्वीर सामने आ सके कि इतनी कम अवधि में रूख में बदलाव क्यों आया।

सीबीआई ने फर्जी मुठभेड के सिलसिले में पहला आरोप पत्र दाखिल किया है। अगले छह सप्ताह में एक अन्य आरोपपत्र दाखिल किया जा सकता है। इसमें गुजरात पुलिस की अपराध शाखा की एक टीम द्वारा कथित रूप से इशरत, जावेद शेख, जीशान जौहर और अमजद अली राणा के मारे जाने के पीछे की साजिश से जुडी जानकारी हो सकती है। सूत्रों ने कहा कि जिस हलफनामे की बात हो रही है, उससे जुडी फाइलें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनसे उन लोगों की भूमिका का पता लग सकता है जिनकी दिलचस्पी इशरत को आतंकी करार देने में थी। (एजेंसी)

First Published: Thursday, July 11, 2013, 19:49

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