एंटी रेप बिल : सहमति बनाने के लिए मंत्रीसमूह ने की बैठक

एंटी रेप बिल : सहमति बनाने के लिए मंत्रीसमूह ने की बैठक

एंटी रेप बिल : सहमति बनाने के लिए मंत्रीसमूह ने की बैठकनई दिल्ली : कैबिनेट में मतभेद के बीच बलात्कारियों के लिए कडे दंड का प्रावधान करने वाले विधेयक को मंगलवार को मंत्रीसमूह के विचारार्थ भेज दिया गया। मंत्रिसमूह ने आज ही अपनी पहली बैठक की और इसमें आम सहमति बनाने के लिहाज से काफी प्रगति होने की खबर है।

मंत्रीसमूह के अपना कार्य कल तक पूरा करने की उम्मीद है ताकि गरुवार को को कैबिनेट नये सिरे से आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2013 पर विचार कर सके।

कैबिनेट की आज घंटे भर चली बैठक में पीछा करने, दर्शनरति (गुप्तांगों या रतिक्रिया को देखने की विकृति) और सहमति से सेक्स करने की आयु घटाकर 16 साल करने जैसे मुद्दों से जुड़े कुछ प्रावधानों को लेकर मतभेद थे।

इसके बाद तय किया गया कि विधेयक को वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाले मंत्रीसमूह के विचारार्थ भेजा जाए। यह विधेयक तीन फरवरी को जारी आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश की जगह लेगा।

मंत्रीसमूह की पहली बैठक के तत्काल बाद चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हमने काफी हद तक अपना कार्य पूरा कर लिया है। चिदंबरम का मानना है कि इसे अंतिम रूप देने के लिए उन्हें अब केवल एक घंटे या कुछ और समय की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा कि मंत्रीसमूह की कल शाम फिर बैठक होगी और कार्य पूरा हो जाएगा और विधेयक गुरुवार को कैबिनेट के विचारार्थ जाएगा।

चिदंबरम ने कहा कि जिन प्रावधानों पर हमने विचार किया, उन्हें लेकर सभी के नजरिये को सुना गया और सामंजस्य स्थापित करने के बाद प्रावधान विशेष का अंतिम प्रारूप सामने आया। शेष बचे प्रावधानों के मामले में भी ऐसा ही किया जाएगा और कल कार्य पूरा हो जाएगा।

सुबह कैबिनेट की बैठक में कुछ मंत्री चाहते थे कि विधेयक में सुरक्षात्मक उपाय विशेषकर बलात्कार की फर्जी शिकायत को लेकर होने चाहिए। कुछ अन्य मंत्रियों ने सहमति से सेक्स करने की आयु 18 से घटाकर 16 साल करने पर चिन्ता का इजहार किया। सरकार इस विधेयक को जल्द से जल्द पारित कराना चाहती है।

यह एक मंत्री की इस दलील से भी समझ आया, जिन्होंने कहा कि मंत्री समूह कल रात तक अपनी रपट दे देगा और विधेयक के गुरुवार को प्रस्तावित केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के एजेंडे में शामिल होने की उम्मीद है।

कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि विभिन्न मुद्दे ऐसे थे, जिन पर सहमति नहीं थी इसीलिए प्रधानमंत्री ने मंत्रीसमूह बनाने की सोची।

समझा जाता है कि कानून मंत्री ने ही फर्जी शिकायतों विशेषकर पीछा करने और दर्शनरति की फर्जी शिकायतों को लेकर पर्याप्त सुरक्षात्मक उपाय करने का मुद्दा उठाया।

बलात्कार रोधी कानूनों को और अधिक कडा करने वाला आपराधिक कानून अध्यादेश तीन फरवरी को राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया था। दिल्ली में पिछले साल 16 दिसंबर को चलती बस में एक छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और छात्रा की इलाज के दौरान मौत के दौरान देश भर में फूटे गुस्से के परिप्रेक्ष्य में अध्यादेश जारी किया गया था।

विधेयक को संसद की मंजूरी 22 मार्च से पहले मिल जानी चाहिए क्योंकि उसके बाद बजट सत्र का पहला चरण समाप्त हो जाएगा। जारी
सहमति से सेक्स करने की आयु 18 से घटाकर 16 साल करने के मुद्दे पर व्यापक अंतर मंत्रालयी विचार विमर्श हुआ। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस कदम का कडा विरोध किया है। कानून के मुताबिक सहमति की उम्र से नीचे यौन संबंधों को सांविधिक रूप से बलात्कार माना जाता है।

सूत्रों ने बताया कि कुछ वरिष्ठ मंत्री कुछ मुद्दों पर सहमत नहीं हो सके जिनमें ‘बलात्कार’ शब्द भी था जो लैंगिकता के मामले में एक लिंग विशेष (महिला) को कहीं अधिक इंगित करता है। उनका कहना था कि इसके स्थान पर ‘यौन हमला’ शब्द रखा जाए तो लैंगिकता के मामले में तटस्थ भाव रहेगा।

इस बात पर भी मतभेद थे कि दर्शनरति और पीछा करने को किस प्रकार परिभाषित किया जाए जिन्हें विधेयक में आपराधिक कृत्य के रूप में शामिल किया गया है। अध्यादेश में पहली बार इन दो गतिविधियों को आपराधिक कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है।

विधेयक में अध्यादेश के एक महत्वपूर्ण प्रावधान को यथावत रखा गया है जिसके तहत यदि बलात्कार पीड़िता की मौत हो जाती है या वह कोमा जैसी स्थिति में आती है तो इसके लिए दोषी को मौत की सजा दी जा सकती है। इसमें न्यूनतम सजा 20 साल की जेल है जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2013 इस संबंध में तीन फरवरी को लाए गए अपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश का स्थान लेगा।

यह अध्यादेश 21 फरवरी को बजट सत्र आहूत होने के छह सप्ताह की अवधि के तहत चार अप्रैल को निष्प्रभावी हो जाएगा। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, March 12, 2013, 10:05

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