Last Updated: Saturday, June 16, 2012, 22:24

मुंबई : केंद्रीय वित्त मंत्री ने शनिवार को कहा कि गठबंधन दौर जारी रहने के पीछे राष्ट्रीय दलों की कमजोरी हो सकती है। उन्होंने गठबंधन शासन को काफी समय लेने वाला और पेचीदा करार दिया।
राष्ट्रपति पद के लिए संप्रग के उम्मीदवार मनोनीत किए गए प्रणब को गठबंधन राजनीति गलत नजर नहीं आती। लेकिन वह मानते हैं कि किसी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय पार्टी के पक्ष में स्पष्ट जनादेश आने से राज्य में सत्ता में रहने वाली पार्टियों के लिए चीजें आसान हो जाती हैं।
मुखर्जी ने इंडियन बैंक एसोसिएशन की वाषिर्क आम बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा, मतदाता समान हैं। समान मतदाता जब प्रांतीय विधानसभा में चुनाव में जाते हैं तो यह रूख रहता है कि किसी राष्ट्रीय या स्थानीय दल को स्पष्ट जनादेश दिया जाए। जनादेश स्पष्ट रहता है।
लिहाजा सत्ता में रहने वाले दल के पास पर्याप्त संख्या में विधायक रहते हैं तो उनके प्रस्तावों का समर्थन कर सके और सत्तारूढ़ दल की इच्छाओं का समर्थन कर सकें।
उन्होंने कहा, पिछले 20 साल से राष्ट्रीय संसदीय चुनावों में मतदाताओं ने स्पष्ट जनादेश नहीं दिया। हो सकता है कि इसके पीछे राष्ट्रीय दलों की कमजोरी हो। मुखर्जी ने स्वीकार किया कि संख्या बल के अभाव में सुधारों को आगे बढ़ाने में अड़चने आ रही हैं। (एजेंसी)
First Published: Saturday, June 16, 2012, 22:24