Last Updated: Thursday, February 7, 2013, 20:11

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी को 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित गुलबर्ग सोसायटी कांड का मामला बंद करने और मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट देने की विशेष जांच दल की रिपोर्ट पर विरोध याचिका दायर करने की अनुमति दे दी। अहमदाबाद की इस सोसायटी में 28 फरवरी, 2002 को हुये दंगे में जाकिया जाफरी के पति पूर्व सासंद एहसान जाफरी सहित 69 व्यक्ति मारे गये थे।
न्यायमूर्ति पी सदाशिवम, न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि जाकिया जाफरी को इस मामले से संबंधित विशेष जांच दल की पूरी जांच रिपोर्ट मुहैया करायी जाये ताकि वह अदालत में विरोध याचिका दायर कर सके।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि विशेष जांच दल के मुखिया की टिप्पणियों के बगैर ही यह रिपोर्ट जाकिया जाफरी को मुहैया करायी जायेगी और वह यह सामग्री मिलने के दो महीने के भीतर जांच दल की मामला बंद करने की रिपोर्ट के खिलाफ विरोध याचिका दायर कर सकती हैं।
न्यायाधीशों ने कहा कि हम स्पष्ट करते हैं कि याचिकाकर्ता जाकिया 12 मई, 2010 को इस न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में पेश पूरी रिपोर्ट प्राप्त करने की हकदार हैं। न्यायालय ने इसके साथ ही अहमदाबाद की अदलात के 16 जुलाई और 27 नवंबर के आदेश निरस्त कर दिये।
जाकिया जाफरी ने शीर्ष अदालत में पेश विशेष जांच दल के सदस्य ए के मल्होत्रा की प्रारंभिक रिपोर्ट देने से अदालत के इंकार और विशेष जांच दल की मामला बंद करने की रिपोर्ट 13 मार्च को स्वीकार करने के अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि जाकिया की शिकायत पर जांच के दौरान दर्ज किये गये बयानों को अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत दर्ज बयान माना जाये जसमें गवाहों से पूछताछ की जा सकती है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, February 7, 2013, 19:02